चीन को लगा जोर का झटका, क्या जल्द खत्म हो जाएगा दुनिया की फैक्ट्री का तमगा? भारत के लिए बड़े अवसर
चीन का निर्यात में बड़ी गिरावट के बाद सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी पर आर्थिक मंदी को दूर करने का दबाव बढ़ गया है।
दुनिया की फैक्ट्री 'चीन' को जोर का झटका लगा है। दरअसल, चीन का निर्यात जुलाई में सालाना आधार पर 14.5 प्रतिशत गिर गया। सीमा शुल्क विभाग के मंगलवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक जुलाई में निर्यात 14.5 प्रतिशत घटकर 281.8 अरब डॉलर रह गया। इससे पहले जून में निर्यात 12.4 प्रतिशत घटा था। समीक्षाधीन अवधि में कमजोर घरेलू मांग के चलते आयात सालाना आधार पर 12.4 प्रतिशत गिरकर 201.2 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया। इससे पिछले महीने यह 6.8 प्रतिशत घटा था। देश का व्यापार अधिशेष एक साल पहले के रिकॉर्ड उच्च स्तर से 20.4 प्रतिशत घटकर 80.6 अरब डॉलर रह गया। आर्थिक क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि यह चीन के लिए बड़े खतरे का संकेत है। जिस तेजी से चीन का निर्यात गिर रहा है, वह उसे भारी मंदी की ओर धकेल सकता है। इतना नहीं, लंब समय से दुनिया की फैक्ट्री का तमगा भी उससे छीन सकता है।
आर्थिक मंदी से निकालने की चुनौती बढ़ी
चीन का निर्यात में बड़ी गिरावट के बाद सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी पर आर्थिक मंदी को दूर करने का दबाव बढ़ गया है। चीन की अर्थव्यवस्था ही पूरी तरह से निर्यात पर टिकी हुई है। निर्यात गिरने से कारखानों में काम होने की आशंका है। इससे बेरोजगारी बढ़ने का खतरा है जो चीन को आर्थिक मंदी की ओर धकेल देगा। वैसे भी कोरोना महामारी के बाद चीन से दुनियाभर की कंपनियों का मोहभंग हुआ है। वो चीन से बाहर निकल रहीं हैं।
भारत बन सकता है पसंदीदा डेस्टिनेशन
जानकारों का कहना है कि जिस तेजी से चीन का निर्यात गिर रहा है, वह भारत के लिए बड़े अवसर बना रहा है। भारत मैन्यूफैक्चरिंग हब बनने के लिए पीएलआई स्कीम से कंपनियों की मदद कर भी रहा है। वहीं, कोरोना के बाद कई विदेशी कंपनियां भारत की ओर रुख कर रही है। इसका असर भी देखने को मिल रहा है। मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग में भारत लीडर बन कर उभरा है। यानी दुनियाभर के देशों के लिए भारत नई फैक्ट्री बन सकता है, जो यहां पर रोजगार के अवसर पैदा करेगा। साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था में मजबूती लाने का काम भी करेगा।