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Hindi News पैसा बिज़नेस इस छोटी सी गलती के चलते महंगा हुआ तेल, अगर सही समय पर लिया जाता ये फैसला तो बच जाते आपके इतने पैसे

इस छोटी सी गलती के चलते महंगा हुआ तेल, अगर सही समय पर लिया जाता ये फैसला तो बच जाते आपके इतने पैसे

Mustard Oil Price: एक्सपर्ट का कहना है कि अगर सरकार समय से ये फैसला ले लेती तो भारत के घरेलू बाजार में सरसों, सोयाबीन तेल और कच्चा पामतेल की कीमतों में इतना इजाफा नहीं होता। जनता को भी राहत मिलती।

इस छोटी सी गलती के चलते महंगा हुआ तेल, जानें कारण- India TV Paisa Image Source : INDIA TV इस छोटी सी गलती के चलते महंगा हुआ तेल, जानें कारण

Mustard Oil Price: जाड़े के साथ-साथ शादी विवाह की मांग के कारण दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में सोमवार को सरसों तिलहन, सोयाबीन तेल तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन तेल कीमतों में सुधार हुआ। कारोबारी  कि कारोबार का रुख मिला जुला बोला जा सकता है, क्योंकि जहां सीपीओ, पामोलीन तेल, सोयाबीन तेल तिलहन और सरसों तिलहन के भाव में सुधार आया वहीं सामान्य कारोबार के बीच सरसों तेल, मूंगफली तेल-तिलहन और बिनौला तेल कीमतें अपरिपर्तित रहीं। 

मलेशिया एक्सचेंज में 1.6 प्रतिशत की तेजी

उन्होंने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में 1.6 प्रतिशत की तेजी है जबकि सामान्य कारोबार के बीच शिकागो एक्सचेंज अपरिवर्तित है। सरकार को तेल उद्योग के बारे में कोई फैसला लेते समय बड़े तेल संगठनों के साथ साथ राज्य स्तरीय और छोटे छोटे संगठनों से भी विचार विमर्श करना चाहिए। किसी नतीजे पर पहुंचने के समय इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि यह फैसला केवल देश के किसानों, तेल उद्योग और उपभोक्ताओं के हित में हो। उन्होंने कहा कि अगर किसी फैसले के लागू होने पर जमीनी समीक्षा करना आवश्यक होना चाहिए ताकि उस निर्णय के पीछे के वास्तविक मकसद को पूरा किया जा सके। 

सूरजमुखी और सोयाबीन तेल की शुल्कमुक्त आयात

हाल में सरकार ने ग्राहकों को राहत देने के मकसद से सालाना 20-20 लाख टन सूरजमुखी और सोयाबीन तेल के शुल्कमुक्त आयात की छूट दी थी। व्यावहारिक रूप से इस फैसले का परिणाम यह हुआ कि बाकी आयातक, कोटा के अलावा अतिरिक्त तेल, आयात शुल्क अदा कर महंगे दाम पर आयात के नये सौदे खरीदने से बचते नजर आये और बाजार में कम आपूर्ति की स्थिति पैदा हो गई जिससे इन तेलों के दाम सस्ता होने के बजाय महंगा हो गये। 

तेल संगठनों का दायित्व बनता है कि वे सरकार को सही समय पर सही सलाह उपलब्ध कराए। सरकार को अपने इस फैसले की तत्काल समीक्षाकर या तो कोटा समाप्त कर देना चाहिए या फिर से इन तेलों पर आयात शुल्क लगा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक रास्ता यह भी हो सकता है कि कोटा व्यवस्था के तहत आयातित तेल को एक निर्धारित सस्ते दाम पर सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिये बांटना अनिवार्य कर दे।  

इस वजह से कम हुए दाम

मलेशिया एक्सचेंज के मजबूत होने से सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतों में सुधार आया। सरसों खली की कुछ मांग होने और कम भाव पर किसानों की बिकवाली से सरसों तिलहन में सुधार आया जबकि सामान्य कारोबार में सरसों तेल पूर्ववत बने रहे। अब सरसों का बचा खुचा माल अब सिर्फ किसानों के पास ही रह गया है। उन्होंने कहा कि जाड़े में पॉल्ट्री वालों की सोयाबीन के डीआयल्ड केक (डीओसी) की स्थानीय मांग बढ़ने से सोयाबीन तेल तिलहन में सुधार आया। सामान्य कारोबार के बीच मूंगफली तेल तिलहन और बिनौल तेल के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए।

कैसा रहा आज का तिलहन का भाव बाजार में

  • सरसों तिलहन - 7,475-7,525 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल। 
  • मूंगफली - 6,900-6,960 रुपये प्रति क्विंटल। 
  • मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 16,000 रुपये प्रति क्विंटल। 
  • मूंगफली रिफाइंड तेल 2,575-2,835 रुपये प्रति टिन। 
  • सरसों तेल दादरी- 15,350 रुपये प्रति क्विंटल। 
  • सरसों पक्की घानी- 2,330-2,460 रुपये प्रति टिन। 
  • सरसों कच्ची घानी- 2,400-2,515 रुपये प्रति टिन। 
  • तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,800-20,500 रुपये प्रति क्विंटल। 
  • सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 15,350 रुपये प्रति क्विंटल। 
  • सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 15,000 रुपये प्रति क्विंटल। 
  • सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 13,600 रुपये प्रति क्विंटल। 
  • सीपीओ एक्स-कांडला- 9,550 रुपये प्रति क्विंटल। बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,700 रुपये प्रति क्विंटल। 
  • पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 11,200 रुपये प्रति क्विंटल। 
  • पामोलिन एक्स- कांडला- 10,250 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल। 
  • सोयाबीन दाना - 5,650-5,750 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन लूज 5,460-5,510 रुपये प्रति क्विंटल। 
  • मक्का खल (सरिस्का) 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।

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