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Cabinet Decisions: वाराणसी-चंदौली से होकर गुजरने वाली गंगा पर बनेगा पुल, जानें कैसा होगा ब्रिज

अश्विनी वैष्णव ने कहा कि प्रस्तावित मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना परिचालन को आसान बनाएगी और भीड़भाड़ को कम करेगी, जिससे भारतीय रेलवे के सबसे व्यस्ततम लाइन पर जरूरी बुनियादी ढांचागत विकास होगा।

सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव।- India TV Paisa Image Source : REUTERS सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव।

उत्तर प्रदेश के वाराणसी और चंदौली जिलों से होकर गुजरने वाली गंगा पर एक रेल-सह-सड़क पुल बनेगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को इस पुल के निर्माण को मंजूरी दे दी। केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि छह लेन के राजमार्ग ऊपरी डेक और चार लाइन के रेलवे निचले डेक के साथ यह एक इंजीनियरिंग चमत्कार होगा। ANI की खबर के मुताबिक, वैष्णव ने कहा कि वाराणसी में मालवीय ब्रिज गंगा नदी पर सबसे महत्वपूर्ण रेलवे पुलों में से एक है, जो उत्तरी, पूर्वी और पश्चिमी राज्यों को जोड़ता है और इसे बदलने की जरूरत है।

2,642 करोड़ रुपये के निवेश से बनेगा पुल

खबर के मुताबिक, केंद्रीय मंत्री ने बताया कि मालवीय ब्रिज एक रेल-सह-सड़क पुल (दो लाइन रेल और दो लेन सड़क) है, जिसका निर्माण 137 साल पहले हुआ था और वाराणसी और डीडीयू जंक्शन के बीच का मार्ग ओवरसैचुरेटेड (163 प्रतिशत) है। चार रेलवे लाइनों और छह लेन के राजमार्ग पुल वाला नया रेल-सड़क पुल 2,642 करोड़ रुपये के निवेश से गंगा नदी पर बनाया जाएगा।

भीड़भाड़ हो सकेगी कम

अश्विनी वैष्णव, जो केंद्रीय रेल मंत्री भी हैं, ने कहा कि प्रस्तावित मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना परिचालन को आसान बनाएगी और भीड़भाड़ को कम करेगी, जिससे भारतीय रेलवे के सबसे व्यस्ततम लाइन पर जरूरी बुनियादी ढांचागत विकास होगा। वाराणसी रेलवे स्टेशन, भारतीय रेल का एक महत्वपूर्ण केंद्र है, जो प्रमुख क्षेत्रों को जोड़ता है और तीर्थयात्रियों, पर्यटकों और स्थानीय आबादी के लिए प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है।

पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का परिणाम

यह परियोजना मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का परिणाम है, जो एकीकृत योजना के माध्यम से संभव हुआ है और लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही के लिए निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। उत्तर प्रदेश के दो जिलों को कवर करने वाली यह परियोजना भारतीय रेल के मौजूदा नेटवर्क को लगभग 30 किलोमीटर तक बढ़ा देगी।

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