अब 6.4 लाख गांव में चलेगा सुपरफास्ट ब्रॉडबैंड इंटरनेट, केंद्रीय केबिनेट ने 1.39 लाख करोड़ रुपये किए मंजूर
फिलहाल भारतनेट परियोजना के अंतर्गत 1.94 लाख गांवों को जोड़ा जा चुका है और शेष गांवों को ढाई साल में जोड़ने की संभावना है।
अब आप चाहें उत्तर पूर्व के छोटे से गांव में हो या फिर राजस्थान में या फिर उत्तराखंड के किसी सुदूर क्षेत्र में हों, आपको देश के दूर दजाज के इलाकों में भी सुपरफास्ट ब्रॉडबैंड इंटरनेट का फायदा मिलेगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतनेट परियोजना के अंतर्गत 6.4 लाख गांवों को ब्रॉडबैंक संपर्क से जोड़ने के लिए 1.39 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय को मंजूरी दी है।
अब तक जुड़े करीब 2 लाख गांव
सूत्रों ने कहा कि फिलहाल भारतनेट परियोजना के अंतर्गत 1.94 लाख गांवों को जोड़ा जा चुका है और शेष गांवों को ढाई साल में जोड़ने की संभावना है। एक सूत्र ने कहा, “मंत्रिमंडल ने शुक्रवार शाम को हुई बैठक में देश के सभी गांवों में ऑप्टिकल फाइबर आधारित कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने के लिए 1,39,579 करोड़ रुपये की मंजूरी दे दी है।” अंतिम छोर तक संपर्क बीएसएनएल की शाखा भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड (बीबीएनएल) ग्राम स्तरीय उद्यम (वीएलई) के साथ मिलकर उपलब्ध कराएगी।
सूत्रों ने बताया, “स्थानीय उद्यमियों की मदद से फाइबर को घर-घर पहुंचाने के मॉडल को एक प्रायोगिक परियोजना के सफल समापन के बाद अंतिम रूप दिया गया।” इस परियोजना के तहत घरों को जोड़ने के लिए आवश्यक उपकरण और अतिरिक्त फाइबर बीबीएनएल द्वारा प्रदान किए जाते हैं, और स्थानीय उद्यमियों को नेटवर्क के रखरखाव का काम सौंपा गया है।
देश भर में फैला आप्टिकल फाइबर का जाल
यह परियोजना बीबीएनएल और वीएलई के बीच 50 प्रतिशत राजस्व-साझाकरण के आधार पर शुरू की जा रही है, और मासिक ब्रॉडबैंड योजना की कीमत 399 रुपये से शुरू होती है। सूत्रों के अनुसार, देशभर में ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी) की 37 लाख रूट किलोमीटर (आरकेएम) फैली हुई है, जिसमें से बीबीएनएल ने 7.7 आरकेएम बिछाई है। एक सूत्र ने कहा, “लगभग 60,000 गांवों के लिए चलाई गई प्रायोगिक परियोजना में लगभग 3,800 उद्यमी शामिल थे, जिन्होंने 3.51 लाख ब्रॉडबैंड कनेक्शन उपलब्ध कराए। प्रति घर औसत डेटा खपत प्रति माह 175 गीगाबाइट दर्ज की गई है।”