Big Relief for Byju's: भयानक वित्तीय संकट से जूझ रही दिग्गज एडटेक कंपनी बायजू को आज एक बहुत बड़ी राहत मिली है। राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्याधिकरण (एनसीएलएटी) ने शुक्रवार को बायजू के खिलाफ दिवाला कार्यवाही को निरस्त कर दिया। एनसीएलएटी ने बायजू के संस्थापक बायजू रवींद्रन द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए ये बड़ा आदेश दिया। बायजू रवींद्रन ने बायजू को ऑपरेट करने वाली कंपनी 'थिंक एंड लर्न' के खिलाफ दिवाला कार्यवाही शुरू करने के आदेश को चुनौती दी थी। दरअसल, बायजू पर बीसीसीआई का 158.9 करोड़ रुपये बकाया था, जिसे चुकाने में बायजू विफल रही थी।
बकाया नहीं चुकाने पर बीसीसीआई ने खटखटाया था एनसीएलएटी का दरवाजा
बकाया नहीं चुकाने पर बीसीसीआई ने थिंक एंड लर्न के खिलाफ राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) का दरवाजा खटखटाया था। बीसीसीआई की ये अपील दिवाला और ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत की गई थी। एनसीएलटी ने इस मामले में थिंक एंड लर्न के खिलाफ दिवाला कार्यवाही शुरू करने का आदेश दे दिया था। लेकिन बायजू ने अपने खिलाफ दिवाला कार्यवाही के आदेश को अपीलीय न्यायाधिकरण में चुनौती दी थी। हालांकि, बीसीसीआई ने मंगलवार को एनसीएलएटी के सामने बायजू के साथ विवाद में सुनवाई को टालने का अनुरोध किया था और संकेत दिए थे कि दोनों पक्षों के बीच सुलह के लिए बातचीत चल रही है।
चेन्नई बेंच ने रद्द किया दिवाला कार्यवाही का आदेश
एनसीएलएटी की दो-सदस्यीय चेन्नई बेंच ने अपने आदेश में कहा, "दाखिल हलफनामे को ध्यान में रखते हुए दोनों पक्षों के बीच समझौता स्वीकृत किया जाता है। इसके साथ ही एनसीएलटी द्वारा पारित आदेश को रद्द किया जाता है।"
बकाया चुकाने में चूक हुई तो फिर शुरू हो जाएगी दिवाला कार्यवाही
हालांकि, अपीलीय न्यायाधिकरण ने बायजू को साफ शब्दों में चेतावनी भी दी है कि अगर उसने बीसीसीआई को बकाये का भुगतान करने में कोई भी चूक की तो कंपनी के खिलाफ दोबारा दिवाला कार्यवाही शुरू कर दी जाएगा। अपीलीय न्यायाधिकरण ने बायजू के अमेरिका स्थिति ऋणदाताओं के राउंड-ट्रिपिंग के आरोप को भी खारिज कर दिया और कहा कि वे इसके लिए कोई सबूत नहीं दे पाई। इस समझौते के अनुरूप बायजू रवींद्रन के भाई रिजू रविंद्रन ने 31 जुलाई को बीसीसीआई को 50 करोड़ रुपये और शुक्रवार को 25 करोड़ रुपये का भुगतान किया। बाकी 83 करोड़ रुपये आरटीजीएस के जरिए 9 अगस्त को जमा किए जाएंगे।
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