आर्थिक संकट से त्रस्त एजुटेक कंपनी बायजू के संस्थापक बायजू रवींद्रन ने कहा है कि वह जैसे ही वह कंपनी के खातों पर नियंत्रण हासिल कर लेंगे, कर्मचारियों की सैलरी का भुगतान तुरंत कर दिया जाएगा, भले ही मुझे और भी कर्ज लेना पड़े। रवींद्रन ने इस बारे में अपने कर्मचारियों को एक ई-मेल में यह मैसेज दिया है। इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक, रवींद्रन ने कहा है कि मैं जो कह रहा हूं वह केवल एक वादा नहीं है, यह एक प्रतिबद्धता है। उन्होंने कहा कि हमारे पास हमारे बदलाव की कहानी का समर्थन करने के लिए निवेशक तैयार हैं।
कंपनी का बीसीसीआई के साथ हुआ था समझौता
खबर के मुताबिक, 14 अगस्त को, सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें बायजू की मूल कंपनी थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के बीच समझौते को मंजूरी दी गई थी। यह आदेश अमेरिकी ऋणदाता जीएलएएस ट्रस्ट कंपनी एलएलसी द्वारा की गई अपील के बाद आया, जिसमें 1.2 बिलियन डॉलर के ऋणदाताओं का प्रतिनिधित्व किया गया था। ऋणदाताओं ने एडटेक फर्म और बीसीसीआई के बीच हुए समझौते का विरोध करते हुए दावा किया कि बायजू रवींद्रन के भाई रिजू रवींद्रन द्वारा भुगतान की गई धनराशि में हेराफेरी की गई है।
अधिक पूंजी लगाने से रोक दिया है
रवींद्रन के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने एनसीएलएटी के फैसले पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी है और इसलिए कंपनी के अकाउंट्स पर कंट्रोल अभी तक बहाल नहीं हुआ है। इसने संस्थापकों को वेतन देने के लिए अधिक पूंजी लगाने से रोक दिया है, जैसा कि उन्होंने पिछले कई महीनों में किया है। सुप्रीम कोर्ट ने क्रिकेट बोर्ड को समझौते में हासिल 158 करोड़ रुपये को एक अलग एस्क्रो खाते में रखने के लिए भी कहा। कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 23 अगस्त को करेगा।
पिछले 29 महीनों में, कंपनी की पूंजी का एकमात्र स्रोत संस्थापक थे, जिन्होंने परिचालन के लिए लगभग 7,500 करोड़ रुपये डाले। बायजू रवींद्रन ने कहा कि दो वर्षों में वेतन के रूप में भुगतान किए गए 3,976 करोड़ रुपये में से रिजू ने व्यक्तिगत रूप से 1,600 करोड़ रुपये डाले।
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