केंद्रीय बजट पेश होने को है, इससे पहले ही फार्मा उद्योग ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने अपनी मांगों का चिट्ठा पेश कर दिया है। फार्मा उद्योग के विभिन्न संगठनों ने उम्मीद जताई है कि आगामी आम बजट में सरकार नवोन्मेषण के साथ शोध एवं विकास पर ध्यान देते हुए क्षेत्र के लिए नियमनों के सरलीकरण के लिए कदम उठाएगी।
आगामी बजट में उद्योग की अपेक्षाओं पर प्रकाश डालते हुए भारतीय फार्मास्युटिकल गठबंधन (आईपीए) के महासचिव सुदर्शन जैन ने कहा कि घरलू फार्मा उद्योग का आकार फिलहाल 50 अरब डॉलर का है और इसके 2030 तक 130 अरब डॉलर, जबकि 2047 तक 450 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। उन्होंने बताया, ‘‘इस लक्ष्य को पाने के लिए आम बजट 2023-24 नवाचार और शोध एवं विकास को बढ़ावा देने वाला होना चाहिए, जिससे फार्मा उद्योग को आगे बढ़ने के लिए गति मिल सके।''
आईपीए सनफार्मा, डॉ.रेड्डीज लैब, अरविंदो फार्मा, सिप्ला, ल्यूपिन और ग्लेनमार्क समेत 24 घरेलू फार्मा कंपनियों का गठबंधन है। भारतीय फार्मास्युटिकल उत्पादक संगठन (ओपीपीआई) के महानिदेशक विवेक सहगल ने कहा कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ में वास्तविक योगदान के लिए जीवन-विज्ञान क्षेत्र को सक्षम बनाने के लिए सरकार को राजकोषीय प्रोत्साहन और अनुकूल नीतियां बनाने की जरूरत है।
ओपीपीआई शोध आधारित फार्मा कंपनियों एस्ट्राजेनेका, जॉनसन एंड जॉनसन और मर्क और अन्य का प्रतिनिधित्व करता है। नोवार्टिस इंडिया के भारत में अध्यक्ष अमिताभ दुबे ने कहा कि सरकार को अनुसंधान आधारित प्रोत्साहन योजनाओं पर बल देने की जरूरत है क्योंकि इससे जीवनरक्षक दवाइयों की उलब्धता बेहतर होती है।
फोर्टिस हेल्थकेयर के प्रबंध निदेशक (एमडी) और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) आशुतोष रघुवंशी ने कहा,‘‘पेशेवर चिकित्सा कर्मियों की कमी की समस्या को सुलझाने की जरूरत है। इसके लिए दूसरी और तीसरी श्रेणी के शहरों में काम करने के इच्छुक डॉक्टरों, नर्सों और तकनीकी कर्मियों को चिह्नित करने की जरूरत है।’’
बजट से पहले फार्मा उद्योग ने वित्त मंत्री के सामने अपनी मांगे रख दी हैं। इसमें उद्योग ने सरकार से रिसर्च पर व्यय बढ़ाने से लेकर छोटे शहरों और गांवों में डॉक्टरों और हेल्थ स्टाफ की उपलब्धता बढ़ाने की मांग की है।
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