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Budget 2024: रेल बजट को केंद्रीय बजट से अलग क्यों किया गया? यहां जानें पूरी बात

पहला रेल बजट 1947 में देश के पहले रेल मंत्री जॉन मथाई ने पेश किया था। हालांकि, तब मथाई ने भारत के वित्त मंत्री के रूप में दो बजट भी पेश किए। रेल बजट को पहली बार 1924 में एकवर्थ समिति की सिफारिशों के बाद आम बजट से अलग किया गया था।

 92 साल से चली आ रही यह परंपरा खत्म हो गई। - India TV Paisa Image Source : FILE 92 साल से चली आ रही यह परंपरा खत्म हो गई।

आप जानते हैं कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को देश का आम बजट 2024 यानी केंद्रीय बजट पेश करेंगी। इसी बजट में रेलवे से जुड़ी घोषणाएं होंगी। लेकिन कुछ साल पहले तक आम बजट से इतर रेल बजट भी पेश किया जाता था। वित्त वर्ष 2016-17 से पहले, रेल बजट को केंद्रीय बजट से कुछ दिन पहले अलग से पेश किया जाता था। तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए केंद्रीय बजट पेश किए जाने के बाद 92 साल से चली आ रही यह परंपरा खत्म हो गई।  इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक, रेल बजट को पहली बार 1924 में एकवर्थ समिति की सिफारिशों के बाद आम बजट से अलग किया गया था।

पहला रेल बजट

देश को आजादी मिलने के बाद, पहला रेल बजट 1947 में देश के पहले रेल मंत्री जॉन मथाई ने पेश किया था। हालांकि, तब मथाई ने भारत के वित्त मंत्री के रूप में दो बजट भी पेश किए। इसके बाद नवंबर 2016 में, रेल मंत्रालय ने घोषणा की कि केंद्र सरकार रेल बजट को केंद्रीय बजट में मिला देगी। यह फैसला नीति आयोग के सदस्य बिबेक देबरॉय की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों और देबरॉय और किशोर देसाई द्वारा 'रेल बजट से छूट' पर एक अलग पत्र पर आधारित था।

वित्त मंत्रालय ने संभाला जिम्मा

वित्त मंत्रालय रेलवे के लिए अनुमानों सहित एक एकल विनियोग विधेयक तैयार करेगा और संसद में पेश करेगा। वित्त मंत्रालय इससे जुड़े सभी विधायी कार्य भी संभालेगा। भारतीय रेलको सरकार को लाभांश का भुगतान करने से छूट दी जाएगी और इसकी पूंजी-प्रभार खत्म हो जाएगी। रेल मंत्रालय को अपने पूंजीगत व्यय के हिस्से को कवर करने के लिए वित्त मंत्रालय से सहायता हासिल होगी। हालांकि भारतीय रेल अपने पूंजीगत व्यय को फाइनेंस करने के लिए अतिरिक्त-बजटीय संसाधनों के जरिये बाजार से संसाधन जुटाना जारी रखेगा।

केंद्रीय बजट में रेल बजट का विलय करने का उद्देश्य केंद्र सरकार के वित्त का पूरा विवरण देना और राजमार्गों, रेलवे और जलमार्गों के बीच परिवहन योजना में सुधार करना था। इसने वित्त मंत्रालय को मिड ईयर समीक्षा के दौरान संसाधनों के आवंटन में अधिक लचीलापन भी दिया।

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