What is Fiscal Deficit: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से एक फरवरी को बजट का ऐलान किया जाएगा। इस वर्ष चुनाव होने के कारण केंद्र सरकार अंतरिम बजट पेश करेगी। इसके बाद नई सरकार आने पर पूर्ण बजट पेश किया जाएगा। अंतरिम बजट होने के चलते इस बजट में सरकार कोई बड़ी घोषणा नहीं करेगी, जिसके संकेत वित्त मंत्री की ओर से पहले ही दे दिए गए हैं।
बजट अंतरिम हो या पूर्ण हर बार सरकार की ओर से राजकोषीय घाटे (Fiscal Defict) की चर्चा जरूर की जाती है। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि आखिर राजकोषीय घाटा इतना महत्वपूर्ण क्यों होता है और इसे कैसे निकाला जाता है।
क्या होता है Fiscal Defict?
राजकोषीय घाटे को ही Fiscal Defict कहा जाता है। यह सरकार की आय और खर्च में अंतर होता है। जब भी कोई सरकार अपनी आय से ज्यादा खर्च करती है तो उसे कारण होने वाले घाटे को राजकोषीय घाटा कहा जाता है। बता दें, राजकोषीय घाटे की कैलुकेशन करते समय सरकार की आय में केवल टैक्स और अन्य मदों से होने वाली इनकम को ही शामिल किया जाता है। सरकार की उधारी को इसमें जोड़ा नहीं जाता है।
कैसे करते हैं राजकोषीय घाटे का कैलकुलेशन
राजकोषीय घाटा = सरकार का कुल व्यय (पूंजी और राजस्व व्यय) - सरकार की कुल आय (राजस्व प्राप्ति + उधारी छोड़कर पूंजीगत प्राप्तियाँ)
राजकोषीय घाटे का लक्ष्य
सरकार की ओर से हर वित्त वर्ष के बजट में राजकोषीय घाटे का एक लक्ष्य तय किया जाता है और पूरे वर्ष सरकार की कोशिश होती है कि अपने खर्च को इस टारगेट के अंदर ही रखा जाए। अगर किसी सरकार का राजकोषीय घाटा उसके बजट अनुमान से ज्यादा हो जाता है तो उसे ज्यादा उधार लेकर उसकी पूर्ति करनी पड़ती है। राजकोषीय घाटे को जीडीपी के प्रतिशत के रूप में मापा जाता है। वित्त वर्ष 2023-24 में बजट में सरकार की ओर से जीडीपी का 5.9 प्रतिशत का राजकोषीय घाटे का लक्ष्य रखा गया था।
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