कोरोना काल में अगर किसी सेक्टर को सबसे अधिक नुकसान हुआ है तो उनमें से एक रियल एस्टेट है। कोरोना के बाद से यह पहला बजट है, जब सरकार बिना किसी कोरोना गाइडलाइन और उससे जुड़ी किसी बड़ी समस्या के बजट पेश कर रही हो। ऐसे में सरकार से ये उम्मीद की जा रही है कि इस सेक्टर में बूम लाने के लिए वह बजट में कुछ बड़े प्रावधान करेगी। कोरोना के बाद से मंदी की आशंका ने इस सेक्टर की ग्रोथ में ब्रेक लगाने का काम किया है।
स्थायी भविष्य की तलाश में लोग
ओमेक्स लिमिटेड के समूह निदेशक सिद्धार्थ कत्याल ने कहा कि भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री देश में सबसे तेजी से बढ़ने वाले क्षेत्रों में से एक है, लेकिन इसके ग्रोथ में फिलहाल कमी देखी जा रही है, जो शहरीकरण, बढ़ती डिस्पोजेबल आय और बढ़ते मध्यम वर्ग जैसे कारकों से प्रेरित है। इंडस्ट्री ने पिछले दो वर्षों में एक आदर्श बदलाव का जरूर अनुभव किया है, जिसमें लोग एक स्थायी भविष्य की तलाश कर रहे हैं। 'घर होने' की आवश्यकता बड़े पैमाने पर बढ़ गई है। पिछले साल भारी वृद्धि के बाद इस बेहद अस्थिर समय में घर का स्वामित्व निर्विवाद रूप से एक सुरक्षित निवेश बन गया है, लेकिन यह कुछ ही जगहो पर हो रहा है।
साल 2023 रियल एस्टेट इंडस्ट्री के लिए हो सकता है टर्निंग प्वाइंट
2023 को आवासीय और वाणिज्यिक दोनों क्षेत्रों में रियल एस्टेट बाजार में मजबूत वृद्धि के लिए एक महत्वपूर्ण वर्ष बनाना है। हमारा मानना है कि सरकार का 'सभी के लिए आवास' का उद्देश्य लक्षित वर्ग को अपने घरों को पट्टे पर देने के लिए उन्हें सीधे तौर पर प्रोत्साहित करेगा, जिससे इस खंड में आवास स्टॉक बढ़ाने के प्रयासों में तेजी आएगी। हम आशावादी हैं कि सरकार इस साल रियल एस्टेट की मांग को और बढ़ावा देने के लिए अपनी नीतिगत कार्रवाइयों को आकार देगी। एक घर के रूप में एक निरंतर सराहना करने वाली संपत्ति है जो पीढ़ियों के धन का निर्माण करती है, हम यह मान सकते हैं कि भारतीय आवासीय अचल संपत्ति का भविष्य सम्मोहक रूप से आशान्वित है।
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