Budget 2023: देश का आर्थिक लेखाजोखा यानि बजट को पेश होने में अब 1 महीना ही बचा है। वित्त मंत्री के नेतृत्व में सरकार Budget 2023 तैयार करने में व्यस्त है। एक ओर जहां सरकार महंगाई और घटती आय जैसी मुश्किलों से जूझ रही है, वहीं देश पर बढ़ता कर्ज सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। ताजा आंकड़ों के अनुसार सरकार की कुल देनदारी सितंबर के अंत में बढ़कर 147.19 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गयी। इससे पहले जून तिमाही में यह 145.72 करोड़ रुपये थी।
कुल देनदारी का 90% पहुंचा कर्ज
सार्वजनिक कर्ज के ताजा आंकड़ों के अनुसार, प्रतिशत के हिसाब से तिमाही आधार पर चालू वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही में इसमें एक प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वित्त मंत्रालय की तरफ से मंगलवार को सार्वजनिक कर्ज प्रबंधन पर जारी तिमाही रिपोर्ट के अनुसार, इस साल सितंबर के अंत में सार्वजनिक कर्ज, सकल देनदारी का 89.1 प्रतिशत रहा जो 30 जून को समाप्त तिमाही में 88.3 प्रतिशत था। इसमें कहा गया है कि करीब 29.6 प्रतिशत सरकारी प्रतिभूतियां (निश्चित या परिवर्तनशील ब्याज वाली प्रतिभूतियां) पांच साल से कम अवधि में परिपक्व होने वाली हैं।
बजट से पहले बढ़ी सरकार के लिए चुनौती
केंद्रीय बजट में सरकार साल भर में राष्ट्रीय आय और व्यय का लेखाजोखा पेश करती है। सरकार अपने व्यय के अनुसार ही अगले साल के खर्चों का अनुमान लगाती है। लेकिन बढ़ता कर्ज इस राह में एक बड़ा रोड़ा बन सकती है। ताजा रिपोर्ट के अनुसार, दूसरी तिमाही के दौरान केंद्र सरकार ने प्रतिभूतियों के जरिये 4,06,000 करोड़ रुपये जुटाये हैं। जबकि उधारी कार्यक्रम के तहत अधिसूचित राशि 4,22,000 करोड़ रुपये थी। वहीं 92,371.15 करोड़ रुपये लौटाये गये। चालू वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही में भारांश औसत प्रतिफल बढ़कर 7.33 प्रतिशत हो गया जो पहली तिमाही में 7.23 प्रतिशत था। दूसरी तिमाही में नयी जारी प्रतिभूतियों के परिपक्व होने की भारांश औसत अवधि 15.62 साल थी जो पहली तिमाही में 15.69 वर्ष थी।
विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट
रिपोर्ट में विदेशी मुद्रा भंडार के संदर्भ में कहा गया है कि यह 30 सितंबर, 2022 को 532.66 अरब डॉलर रहा जो 24 सितंबर, 2021 को 638.64 अरब डॉलर था। एक जुलाई, 2022 से 30 सितंबर, 2022 के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपया 3.11 प्रतिशत नीचे आया है। सरकार ने जूलाई-सितंबर तिमाही में नकद प्रबंध बिल यानी नकदी प्रबंधन के लिये अल्प अवधि की प्रतिभूतियों के जरिये कोई राशि नहीं जुटायी है। इस दौरान भारतीय रिजर्व बैंक ने सरकारी प्रतिभूतियों के लिये कोई खुली बाजार गतिविधियां आयोजित नहीं कीं।
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