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Budget 2023:. लाइफस्टाइल और वेलनेस उद्योगों पर सरकार दे सकती है अधिक ध्यान, जानें क्या हो सकता है शामिल

देश का आम बजट जल्द ही हम सबके बीच होगा। विभिन्न सेक्टर को बजट-2023 से बहुत आस है। वहीं लाइफस्टाइल और वेलनेस उद्योग भी सरकार से ध्यान की उम्मीद लगाये बैठा है, जहां वह बड़ी घोषणाओं का इंतजार बजट- 2023 में करेगा।

Budget-2023 expectations on lifestyle and wellness industry - India TV Paisa Image Source : CANVA लाइफस्टाइल और वेलनेस उद्योगों को सरकार से है आस

Budget 2023: इस साल का आम बजट जल्द ही हम सबके बीच आने वाला है, वहीं सभी सेक्टर अपने अपने लिये सरकार से विभिन्न उम्मीदें सजाये हुये हैं। बता दें कि 1 फरवरी, 2023 को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बजट- 2023 संसद में पेश किया जाना है, जिसकी तैयारियां अंतिम दौर पर हैं। वहीं इस बार लाइफस्टाइल और वेलनेस उद्योगों को सरकार से समर्थन मिलने की उम्मीद जताई जा रही है, क्योंकि सरकार नये व्यवसायों को प्रोत्साहित करने का कार्य कर रही है। दूसरी ओर ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि इस तरह के स्टार्टअप सेक्टर में D2C ब्रांडो को सरकार का समर्थन मिल सकता है, आज हम आपको इसी के बारे में विस्तृत जानकारी देने वाले हैं।

रोजगार पर अधिक खर्च की आस

बता दें कि भारत में स्टार्टअप तेजी के साथ बढ़ा है, जिसने बेहतर अर्थव्यवस्था और छोटे व्यवसायों को बढ़ावा दिया है। वहीं बजट- 2023 में लाइफस्टाइल और वेलनेस उद्योगों को आगे बढ़ाने के लिये और इसके सभी स्तरों पर नए रोजगार देने के लिये सरकार अधिक खर्च कर सकती है। जिससे लाइफस्टाइल और वेलनेस सेक्टर बजट- 2023 से कई तरह की आस लगाये बैठा है। 

टैक्स स्लैब में बदलाव की उम्मीद

लाइफस्टाइल और वेलनेस उद्योगों को इस साल टैक्स स्लैब में बदलावों की उम्मीद है, जो बजट- 2023 में सरकार द्वारा पूरा किया जा सकता है। बता दें कि लाइफस्टाइल और वेलनेस उद्योग यह आस लगाये हैं कि जीएसटी को कम करके और स्टार्टअप में लगाये गये टैक्स को सरकार द्वारा कम करके लघु और मध्यम उद्योगों का समर्थन किया जायेगा। जिसकी अपेक्षा सरकार से लाइफस्टाइल और वेलनेस उद्योग कर रहें हैं। 

आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी सेवा के विस्तार की उम्मीद

बता दें कि बजट- 2023 में सरकार वित्त तक लाइफस्टाइल और वेलनेस उद्योगों की आसान पहुंच के लिये आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी सेवा का विस्तार कर सकती है, जिससे एमएसएमई क्षेत्र के विकास में बढ़ावा मिल सके। वहीं मौजूदा समय में भारत में 63 मिलियन MSME हैं, जो देश की GDP में 30 % फीसद से अधिक का योगदान देते हैं।

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