बजट में 5 लाख रुपये हो सकती है आयकर छूट की सीमा! मिडिल क्लास को इन राहत की उम्मीदें
2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में मोदी सरकार का आखिरी पूर्ण बजट होने के कारण इस बार उम्मीद है कि सरकार नौकरीपेशा को बड़ी खुशखबरी देगी।
Budget 2023: बजट 2023-24 की पेश होने अब कुछ ही दिन का समय बचा हुआ है। हर बार की तरह इस बार भी टैक्स पेयर्स सरकार से कुछ राहत की उम्मीद लगाए बैठे हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि यूनियन बजट में इनकम टैक्स एजम्पशन की लिमिट बढ़ाकर 5 लाख रुपये की जा सकती है जो फिलहाल 2.5 लाख रुपये है। अगर सच में ऐसा होता है तो टैक्सपेयर्स के लिए बड़ी राहत होगी और उनके हाथों में खर्च के लिए ज्यादा पैसा बचेगा।
5 से 10 लाख इनकम पर 5% टैक्स
दरअसल, अभी 2.5 लाख से 5 लाख तक सैलरी होने पर 5% का टैक्स देना पड़ता है। पुराने टैक्स सिस्टम के तहत 1,25,000 रुपए का रिबेट मिलता है। लेकिन नए टैक्स सिस्टम में कोई रिबेट नहीं है. टैक्सपेयर्स की मांग है कि 5 लाख से लेकर 10 लाख तक 5 फीसदी का टैक्स लागू किया जाए। क्योंकि अभी 5 से 10 लाख तक के इनकम पर पुराने टैक्स सिस्टम के तहत 20 फीसदी का टैक्स लगता है। लोगों को उम्मीद है कि इस बार वित्त मंत्री उन्हें तोहफा दे सकती हैं।
कैपिटल एक्सपेंडिचर पर फोकस
बताते चलें कि 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में मोदी सरकार का आखिरी पूर्ण बजट होने के कारण इस बार उम्मीद है कि सरकार नौकरीपेशा को बड़ी खुशखबरी देगी. इसी कारण सरकार का फोकस कैपिटल एक्सपेंडिचर पर होगा ताकि ग्रोथ को बल मिल सके। बजट में सरकार की कोशिश पब्लिक और प्राइवेट इन्वेस्टमेंट को बढ़ाने की होगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बजट 2023 में कैपिटल एक्सपेंडिचर और पीएलआई स्कीम के लिए आवंटन में बढ़ोतरी की बड़ी संभावना है. इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (InvITs) और एग्री इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश करने पर टैक्स में छूट की घोषणा भी संभव है।
DLSS का ऐलान बजट में संभव
रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार बजट में इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS) की तरह ही डेट लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (DLSS) लाने पर विचार कर रही है। इससे रिटेल निवेशकों के लिए एक नया इन्वेस्टमेंट एवेन्यू खुल जाएगा, जिसमें उनको सेक्शन 80C के बेनिफिट्स भी ELSS की तरह मिलेंगे। जानकरों ने बताया कि DLSS के जरिए जो पैसा म्यूचुअल फंड के पास आएगा, उसमें से 80% रकम डिबेंचर या कंपनी के बॉन्ड में ही लगाना होगा। इससे कॉरपोरेट बॉन्ड मार्केट को भी फायदा मिलेगा।