नई दिल्ली। कोविड-19 की तीसरी लहर में आतिथ्य क्षेत्र पर एक बार फिर अनिश्चतता के बादल मंडराने के बीच होटल उद्योग ने सरकार से उसे ढांचागत क्षेत्र का दर्जा देने की मांग की है। इसके साथ ही उद्योग ने सरकार से कर्ज के पुनर्भुगतान में दी गई छूट को बढ़ाने और करों को युक्तिसंगत बनाने को भी कहा है।
भारतीय होटल संघ (एचएआई) ने सोमवार को एक बयान में कहा कि उसने सरकार को दिए गए बजट-पूर्व सुझाव में महामारी की नई लहर के इस उद्योग पर संभावित असर को देखते हुए कई रियायतें देने का अनुरोध किया है। एचएआई के मुताबिक, दूसरी लहर के बाद होटल उद्योग धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगा था, लेकिन ओमीक्रोन के रूप में आए नए खतरे ने इसे फिर से अनिश्चितता के भंवर में धकेल दिया है। ऐसी स्थिति में होटल उद्योग को बचाने के लिए सरकार की मदद जरूरी है। होटल संगठन ने सरकार से ढांचागत क्षेत्र का दर्जा देने की मांग करते हुए कहा है कि इससे होटल एवं आतिथ्य क्षेत्र की कंपनियों को कई समस्याओं से निपटने में मदद मिलेगी। खासकर होटल क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने में यह काफी कारगर होगा।
उसने कहा है कि निवेश आने से होटल उद्योग अधिक लोगों को रोजगार देने में सक्षम होगा। इसके अलावा एचएआई ने कर्जों के पुनर्भुगतान में दी गई छूट की सीमा बढ़ाने और होटलों पर लगने वाले करों को युक्तिसंगत बनाने का भी अनुरोध किया है। इसके साथ ही होटलों के लिए कारोबारी सुगमता बढ़ाने वाले कदम भी उठाए जाने चाहिए। एचएआई ने कहा कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में करीब नौ प्रतिशत का योगदान देने वाले होटल उद्योग में करीब 4.5 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से रोजगार मिला हुआ है। इस लिहाज से होटल उद्योग का बेहतर प्रदर्शन भारतीय अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार के लिए जरूरी है।
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