2020 में भारत सहित दुनिया भर को अपनी चपेट में लेने वाले कोरोना वायरस ने लोगों के जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। बीते करीब 2 साल से जारी जीवन के इस संकट ने अर्थव्यवस्था के पर गहरे जख्म दे दिए हैं। देख में आजादी के बाद से ही बेरोजगारी एक बड़ी समस्या रही है, लेकिन कोरोन के दौर में रुक रुक कर लगे लॉकडाउन ने इस घाव को नासूर बना दिया है।
साल 2022 का बजट इस कोरोना संकट के बाद पेश हुआ दूसरा बजट होगा। ऐसे में इस बजट से लोगों को रोजगार के मोर्चे पर बड़े ऐलानों की उम्मीद है। दरअसल अर्थशास्त्री भी यही मानते हैं कि शहरों से लेकर गांव तक हर हाथ में काम आने से लोगों की आय बढ़ेगी, जिसका फायदा कंपनियों को डिमांड के रूप में मिलेगा और अर्थव्यवस्था का चक्का चल निकलेगा। इसके लिए सरकार को शहरों और गांवों में नौकरियों का माहौल तैयार करना होगा। लेकिन बीते वर्षों में सरकार के बजट आंकड़ों को देखकर ऐसा लगता नहीं है।
सरकारी योजनाओं में सुस्त निवेश
यूपीए सरकार के दौरान आई मनरेगा यानि महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना बेरोजगारी से मुकाबला करने में मील का पत्थर मानी जाती है। लेकिन बीते तीन बजट में इसमें बड़ी बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। इस योजना में 2019—20 का बजट आवंटन 71687 करोड़ था। जबकि 2020—21 के बजट में इस योजना के लिए आवंटन 61500 वहीं पिछले बजट में यह मामूली रूप से बढ़कर 73000 करोड़ का आवंटन हुआ। वहीं रोजगार से जुड़ी एक अन्य योजना प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना में 2020 में 2500 करोड़ रुपये के आवंटन को घटाकर 2000 करोड़ कर दिया गया।
बजट में शहरी रोजगार गारंटी स्कीम की मांग
कोरोना जैसे अप्रत्याशित संकट से उबरने के लिए रोजगार के मोर्चे भी कुछ आउट आफ बॉक्स सोचना होगा। ग्रामीण भारत में इंफ्रा प्रोजेक्ट शुरू होने से लागों को रोजगार मिलेगा। मनरेगा स्कीम के जनक कहे जाने वाले अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज सरकार को शहरी रोजगार गारंटी स्कीम शुरू करने की सलाह दे चुके हैं। जाने माने अर्थशास्त्री प्रो.अरुण कुमार के अनुसार शहरी रोजगार गारंटी स्कीम से बेरोजगारी के साथ ही डिमांड बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।
परेशान करने वाले हैं बेरोजगारी के आंकड़े
बेरोजगारी के आंकड़ों बात करें तो जनवरी 2020 में देश में बेरोजगारी दर जो 7.2% थी, लेकिन कारोना शुरुआत में लॉकडाउन लगने के बाद यह बढ़कर मार्च में 23.5% और अप्रैल में 22% पर पहुंच गई। हालांकि बाद में यह वापस 6-7% के दायरे में लौट आई। वहीं जब 2021 में फिर लॉकडाउन लगा तो यह 12% तक पहुंच गई। ओमिक्रॉन संकट के बीच CMIE द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर 2021 में भारत की बेरोजगारी दर 4-महीनों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है।
आगे बड़ी चुनौती
कंसल्टेंसी फर्म मैकेंजी ने अगस्त 2020 में एक रिपोर्ट में कहा था कि 2030 तक भारत में 6 करोड़ अतिरिक्त लोग भारत के गैर-कृषि लेबर मार्केट में प्रवेश करेंगे और 3 करोड़ लोग कृषि क्षेत्र से गैर-कृषि क्षेत्र में शिफ्ट करेंगे। यानी अगले 8 वर्षों में औद्योगिक क्षेत्र को 9 करोड़ लोगों को रोजगार देने के लिए तैयार होना होगा।
सरकार को करना होगा यहां फोकस
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन 2022-23 के बजट में मैन्युफैक्चरिंग, रियल एस्टेट, कृषि, फूड प्रोसेसिंग, रिटेल और हेल्थकेयर सेक्टरों पर खास ध्यान देना चाहिए। JLL इंडिया के मुताबिक 2021 की तीसरी तिमाही में दिल्ली-एनसीआर, मुंबई और पुणे के बाजारों में ऑफिस स्पेस के उपयोग में सालाना आधार पर 8% की बढ़ोतरी देखी गई। यहां रोजगार के लिए नए अवसर बनने की संभावना है।
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