नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोमवार को ब्रेंट क्रूड उछलकर फिर 111 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गया। कच्चे तेल में यह तेजी अमेरिका के साथ देने के लिए यूरोपीय संघ के देशों द्वारा रूस पर लगाए तेल प्रतिबंध में शामिल होने के निर्णय के बाद आया है। ऐसे में माना जा रहा है कि कच्चे तेल में यह तेजी आगे भी जारी रहेगी क्योंकि रूस पर प्रतिबंद्ध से अंतरराष्ट्रीय बाजार में आपूर्ति प्रभावित होगी। वैश्विक तेल उत्पादन में रूस की हिस्सेदारी करीब 10 प्रतिशत है। ऐसे में रूस से आपूर्ति रुकने पर अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग और आपूर्ति का संकट पैदा होगा जो दाम में बढ़ोतरी का कारण बनेगा। ऐसे में इसका असर भारतीय बाजार पर भी देखने को मिलेगा।
पेट्रोल के दाम में बढ़ोतरी होना तय
इंडिया इंफोलाइन सिक्योरिटीज (IIFL Securities) के वाइस प्रेसिडेंट (कमोडिटी एंड करेंसी) अनुज गुप्ता ने इंडिया टीवी को बताया कि कच्चे तेल में उछाल आने वाले महीनों में और आएगा। ऐसा रूस पर प्रतिबंध लगाने और आपूर्ति संकट पैदा होने से होगा। इसका असर भारत पर पड़ना तय है। तेल कंपनियों ने जिस तरह से डीजल की कीमत में बढ़ोतरी की है ठीक उसी तरह से कभी भी पेट्रोल भी महंगा हो सकता है। अभी सरकारी दवाब में कंपनियां भले ही दाम में बढ़ोतरी नहीं कर रही है लेकिन यह लंबे समय तक नहीं चल पाएगा। प्राइवेट कंपनियों ने आवाज उठाना शुरू कर दिया है। ऐसे में कभी भी पेट्रोल के दाम भी बढ़ सकते हैं।
130 डॉलर के पार पहुंच गया था कच्चा तेल
बता दें कि रूस ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमला किया था और तब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत 130 डॉलर तक पहुंच गई थी। ऐसे में इसकी आशंका बनी हुई है कि कच्चे तेल में कभी भी तेजी आ सकती है। यह भारत समेत दुनियाभर के बाजारों में महंगाई बढ़ाने का काम करेगा।
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