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राज्यों की उधारी नौ प्रतिशत बढ़कर 87 लाख करोड़ से अधिक पहुंचने का अनुमान, जानें क्या हैं कारण

राज्यों को जल-आपूर्ति और स्वच्छता, शहरी विकास, सड़कों एवं सिंचाई जैसे ढांचागत क्षेत्रों पर पूंजीगत व्यय 18-20 प्रतिशत होने से कुल राजस्व घाटा बढ़ेगा। इसलिए राज्यों को अधिक कर्ज लेने की जरूरत पड़ेगी।

Debt - India TV Paisa Image Source : FREEPIK कर्ज का बोझ

राज्यों पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। दरअसल, राज्यों की राजस्व वृद्धि उम्मीद से कम रहने और पेंशन और ब्याज लागत बढ़ने से कर्ज का बोझ बढ़ा है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की एक रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है। रिपोर्ट के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में हाई कैपिटल एक्सपेंडिचर और मध्यम राजस्व वृद्धि के बीच राज्यों का कर्ज उनके सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 31-32 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इसके साथ ही राज्यों की कुल उधारी नौ प्रतिशत बढ़कर 87 लाख करोड़ रुपये से अधिक रह सकती है। किसी राज्य पर कर्ज बोझ का आकलन उसके ऋण और जीएसडीपी के अनुपात के रूप में किया जाता है। कोविड महामारी से पहले कर्ज और जीएसडीपी का अनुपात 28-29 पर था।

इसलिए राज्यों को लेनी पड़ी है अधिक उधारी 

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जीएसडीपी के अनुपात के रूप में कुल सकल राजकोषीय घाटा (जीएफडी) 2.5 पर रहने की उम्मीद है। यह राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम (एफआरबीएम) के तहत निर्धारित 3.0 के अनिवार्य स्तर से बहुत कम है। रिपोर्ट कहती है कि चालू वित्त वर्ष में राज्यों की राजस्व वृद्धि उम्मीद से कम रही है लेकिन उन्हें पेंशन और ब्याज लागत से संबंधित उच्च प्रतिबद्ध राजस्व व्यय करने के अलावा पूंजीगत खर्च बढ़ाने के लिए अधिक उधारी भी लेनी पड़ी है। इसकी वजह से राज्यों का कर्ज स्तर उनके सकल घरेलू उत्पाद के 31-32 प्रतिशत के उच्च स्तर पर बना रहेगा। यह रिपोर्ट देश के 18 प्रमुख राज्यों से हासिल आंकड़ों पर आधारित है। ये राज्य देश के कुल जीएसडीपी में 90 प्रतिशत हिस्सेदारी रखते हैं। इनमें महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान, बंगाल, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, केरल, ओडिशा, पंजाब, बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा, झारखंड और गोवा शामिल हैं।

राज्यों का खर्चा हर साल बढ़ रहा 

वित्त वर्ष 2021-22 में मामूली राजस्व अधिशेष की स्थिति रहने के बाद पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में राज्य घाटे की स्थिति में चले गए। इसकी वजह यह है कि कुल राजस्व आठ प्रतिशत की दर से बढ़ा जबकि राजस्व व्यय में 11 प्रतिशत की तेजी रही। चालू वित्त वर्ष 2023-24 में कुल राजस्व वृद्धि छह-आठ प्रतिशत रहने का अनुमान है लेकिन राज्यों का प्रतिबद्ध व्यय बढ़ने और जन कल्याण एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य पर खर्च बढ़ने से राजस्व व्यय में 8-10 प्रतिशत की वृद्धि होना तय है। क्रिसिल के वरिष्ठ निदेशक अनुज सेठी ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में राजस्व घाटा जीएसडीपी के 0.5 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा जो पिछले वित्त वर्ष में 0.3 प्रतिशत था। 

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