A
Hindi News पैसा बिज़नेस अरहर दाल की कालाबाजारी करने वालों की खैर नहीं, कीमत काबू करने के लिए सरकार ने दुकानदारों को दिया यह निर्देश

अरहर दाल की कालाबाजारी करने वालों की खैर नहीं, कीमत काबू करने के लिए सरकार ने दुकानदारों को दिया यह निर्देश

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक पिछले एक साल में देश में तुअर दाल का औसत खुदरा मूल्य 11.12 प्रतिशत बढ़कर 115 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया है।

अरहर दाल- India TV Paisa Image Source : FILE अरहर दाल

अरहर दाल की कालाबाजारी करने वालों की खैर नहीं है। अरहर दाल की बढ़ती कीमतों को लेकर चिंता के बीच उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने शुक्रवार को खुदरा विक्रेताओं को निर्देश दिया कि वे दालों विशेष रूप से अरहर दाल पर अपना अनुचित स्तर तक लाभ मार्जिन न रखें। रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आरएआई) और प्रमुख संगठित खुदरा विक्रेताओं के साथ एक बैठक में सचिव ने उन्हें खुदरा मार्जिन को इस तरह से निर्धारित करने के लिए कहा कि घरों में दालों की खपत की संरचना मूल्य वृद्धि से प्रभावित न हो।

खुदरा विक्रेताओं को निर्देश दिया

एक सरकारी बयान में कहा गया है, ‘‘उन्होंने खुदरा विक्रेताओं को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि दालों, विशेष रूप से तुअर (अरहर) दाल के लिए खुदरा मार्जिन को अनुचित स्तर पर नहीं रखा जाए।’’ खुदरा उद्योग के कारोबारियों ने सरकार के साथ पूर्ण सहयोग करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की और यह भी आश्वासन दिया कि दालों की कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए सभी प्रयास किए जाएंगे। खुदरा संगठनों और प्रमुख संगठित खुदरा श्रृंखलाओं के साथ आज की बैठक उपभोक्ताओं के लिए दालों की उपलब्धता और उसे सस्ता बनाये रखने के लिए दलहन मूल्य पर विभन्न पक्षों के साथ हो रही बैठकों का हिस्सा है। इस बीच, जमाखोरी पर लगाम लगाने के लिए विभाग, व्यापारियों और आयातकों के स्टॉक खुलासे पर कड़ी नजर रख रहा है।

मूल्य बढ़कर 115 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक पिछले एक साल में देश में तुअर दाल का औसत खुदरा मूल्य 11.12 प्रतिशत बढ़कर 115 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया है। कीमतों पर दबाव है क्योंकि कृषि मंत्रालय के दूसरे अनुमान के अनुसार, देश का तुअर उत्पादन फसल वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) में कम यानी तीन करोड़ 66.6 लाख टन कम रहने का अनुमान है, जबकि पिछले वर्ष यह उत्पादन चार करोड़ 22 लाख टन का हुआ था। अरहर मुख्य रूप से खरीफ (गर्मी) की फसल है। घरेलू मांग को पूरा करने के लिए देश कुछ मात्रा में इस दलहन का आयात करता है।

Latest Business News