कोरोना की तीन लहरों का सामना कर चुके बिहार के लोगों के लिए 28 फरवरी का दिन काफी महत्वपूर्ण है। इस दिन बिहार की नीतिश सरकार 2022—23 के लिए सरकार का आम बजट पेश करने जा रही है। राज्य के वित्त मंत्री तारकिशोर प्रसाद आने वाले वर्ष के लिए सरकार की योजनाओं को विधानसभा के पटल पर रखेंगे।
बताया जा रहा है पिछली बार की तुलना में इस बार बजट में 10 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है। उम्मीद है कि इस बार सरकार उन्हें राहत देगी और बजट से राज्य के विकास को पंख लगेगा। दूसरी ओर सरकार की चिंता राजकोषीय घाटे पर लगाम लगाने की होगी। कोविड संकट का सामना करते करते सरकार की तिजोरी खाली हो गई है। ऐसे में राज्य के विकास और लोगों की उम्मीदों के बीच संतुलन बैठाना सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी।
आपको बता दें कि राज्य बजट को तैयार करना एक बेहद पेचीदा प्रक्रिया होती है। भले ही बजट फरवरी में पेश होता है, लेकिन इसकी तैयारियां करीब 6 महीने पहले से शुरू हो जाती हैं। आइए जानते हैं कि वित्तमंत्री तारकिशोर जिस बजट को पेश करेंगे, उसकी पूरी प्रक्रिया क्या है।
जानिए क्या है बिहार बजट की प्रक्रिया
बिहार में बजट की प्रक्रिया की शुरुआत बजट पेश करने से लगभग 6 महीने पहले यानि कि अगस्त से शुरू हो जाती है।सबसे पहले वित्त विभाग सभी विभागों को प्रपत्र सौंपता है। इसमें विभागों को अपनी प्राथमिकताएं और जरूरतों की जानकारी वित्त विभाग को देनी होती हैं। विभाग अगले एक साल की अपनी प्राथमिकताओं को अक्टूबर से नवम्बर तक वापस भेजते हैं।
क्या जानकारी देनी होती है
सभी विभाग वित्त मंत्रालय को अपने यहां चल रही योजनाओं और नयी योजनाओं के खर्च और जरूरतों का ब्योरा सौंपते हैं। योजना विभाग तय करता है कि किस योजना के तहत किस विभाग के कितनी राशि दी जानी है। यह फैसला राज्य की आय के अनुसार किया जाता है। बजट बनाते समय यह भी देखा जाता है कि पिछले साल विभागों को कितनी राशि दी गई थी। बजट तैयार करने में सरकार के नीतियों के अनुसार प्राथमिकताओं को भी ध्यान में रखा जाता है।
आम चर्चा
वित्त विभाग बजट तैयार करने से पहले आम चर्चा भी करती है। इसके तहत अखबारों में विज्ञापन दिया जाता है, और वरिष्ठ लोगों से राय मांगी जाती है। बजट के लिए व्यापारिक और औद्योगिक संस्थाओं से जुड़े लोगों को बुलाकर राय ली जाती है। खासकर बिहार इंस्डस्ट्रियल एसोसिएशन, बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स, एसोचैम, CII, साहित्यकार, प्रोफेसर, अर्थशास्त्री, बैंकर्स के साथ आम लोगों को भी बुलाकर राय ली जाती है।
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