बैंकों में सालों से पड़े अनक्लेम्ड मनी को लेकर मोदी सरकार गंभीर है। अब इस दिशा में पहल करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को बैंकों तथा वित्त संस्थानों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि उनके ग्राहक अपने उत्तराधिकारी (नॉमिनी) को नामित करें, जिससे बिना दावा की धन राशि को कम करने में मदद मिल सके। सीतारमण ने यहां ग्लोबल फिनटेक फेस्ट (जीएफएफ) में कहा कि मैं चाहती हूं कि बैंकिंग प्रणाली, वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र (सहित) म्यूचुअल फंड, शेयर बाजार, हर कोई यह ध्यान रखे कि जब कोई अपने (ग्राहक के) पैसे का लेनदेन करता है, तो संगठनों को भविष्य के बारे में सोचना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि वे (ग्राहक) अपने उत्तराधिकारी को नॉमिनिटेड जरूर करें, उनका नाम और पता दें।
बिना दावे के बैंकों में 35,000 करोड़ पड़े हुए
एक रिपोर्ट के अनुसार, केवल बैंकिंग प्रणाली में 35,000 करोड़ रुपये से अधिक ऐसी राशि है जिस पर किसी का दावा नहीं है, जबकि ऐेसा कुल धन करीब एक लाख करोड़ रुपये से अधिक बताया गया है। सीतारमण ने कहा कि ‘टैक्स हैवेन’ (कर पनाहगाह देश) और पैसे की ‘राउंड ट्रिपिंग’ जिम्मेदार वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए खतरा है। ‘राउंड ट्रिपिंग’ से तात्पर्य किसी कंपनी के बिक्री उत्पन्न करने के लिए किसी अन्य को संपत्ति बेचने और फिर बाद में उसे वापस खरीदने से है। वित्त मंत्री ने फिनटेक कंपनियों से साइबर सुरक्षा में निवेश करने का आग्रह किया और कहा कि विश्वास बेहद महत्वपूर्ण है।
क्या होता है अनक्लेम्ड मनी
आपको बता दें कि जब किसी बैंक अकाउंट में बीते 10 साल में कोई लेनदेन नहीं होता है तो उसमें जमा रकम को अनक्लेम्ड डिपॉजिट मान लिया जाता है। इसके बाद इस रकम की जानकारी बैंक, आरबीआई को देते हैं। इसके बाद ये अनक्लेम्ड डिपॉजिट डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड में ट्रांसफर कर दिया जाता है। बीच—बीच में आरबीआई इस रकम को सही दावेदार तक पहुंचाने के लिए कैम्पेन भी चलाता है। हाल ही में आरबीआई ने अनक्लेम्ड मनी को चेक करने के लिए एक वेबसाइट भी शुरू किया है।
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