महंगाई के मोर्चे पर मिली बड़ी राहत, मई में खुदरा महंगाई दो साल के निचले स्तर 4.25% पर पहुंची
अगली मौद्रिक पॉलिसी की बैठक में आरबीआई रेपो रेट में कटौती पर फैसला ले सकता है। इससे होम, कार लोन समेत सभी तरह के लोन लेने वालों को राहत मिलेगी। रेपो रेट कम होने से ईएमआई का बोझ कम होगा।
महंगाई के मोर्चे पर बड़ी राहत मिली है। मई महीने में खुदरा महंगाई दो साल के निचले स्तर 4.25% पर पहुंच गई। अप्रैल महीने में खुदरा महंगाई 4.7 प्रतिशत रही थी। महंगाई में कमी आने से आम लोगों पर घर चलाने का बोझ कम होगा। वहीं दूसरी ओर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को भी रेपो रेट में कमी करने का मौका मिलेगा। पिछली दो मौद्रिक पॉलिसी में रेपो रेट में बदलाव नहीं हुआ है। ऐसे में उम्मीद है कि अगर महंगाई इसी तरह कम होती रही है तो अगली मौद्रिक पॉलिसी की बैठक में आरबीआई रेपो रेट में कटौती पर फैसला ले सकता है। इससे होम, कार लोन समेत सभी तरह के लोन लेने वालों को राहत मिलेगी। रेपो रेट कम होने से ईएमआई का बोझ कम होगा।
लगातार चौथे महीने में खुदरा महंगाई में गिरावट
सरकार की तरफ से सोमवार को जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। आंकड़ों के अनुसार, मई, 2023 में खुदरा मुद्रास्फीति 4.25 प्रतिशत रही जो अप्रैल, 2021 के बाद का सबसे निचला स्तर है। अप्रैल, 2021 में खुदरा मुद्रास्फीति 4.23 प्रतिशत पर थी। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल, 2023 में 4.7 प्रतिशत रही थी। वहीं एक साल पहले मई, 2022 में खुदरा मुद्रास्फीति 7.04 प्रतिशत के स्तर पर थी। इस तरह लगातार चौथे महीने में खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट आई है। इसके साथ ही यह लगातार तीसरा महीना है जब खुदरा मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर पर है।
ईंधन की कीमतों में आई गिरावट से राहत
सरकार ने रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घटबढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने का दायित्व सौंपा हुआ है। पिछले महीने में खुदरा मुद्रास्फीति में आई गिरावट के पीछे मुख्य रूप से खाद्य उत्पादों एवं ईंधन की कीमतों में आई गिरावट की अहम भूमिका रही है। मई में खाद्य मुद्रास्फीति 2.91 प्रतिशत रही जबकि अप्रैल में यह 3.84 प्रतिशत थी। खाद्य उत्पादों की सीपीआई सूचकांक में हिस्सेदारी करीब आधी होती है। इसके अलावा ईंधन एवं प्रकाश खंड की मुद्रास्फीति भी 4.64 प्रतिशत पर आ गई, जबकि अप्रैल में यह 5.52 प्रतिशत रही थी।
झटका: औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि घटकर 4.2% पर
भारत का औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) इस साल अप्रैल में 4.2 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) अप्रैल 2022 में 6.7 प्रतिशत बढ़ा था। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2023 में विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन 4.9 प्रतिशत और खनन उत्पादन 5.1 प्रतिशत बढ़ा है। समीक्षाधीन माह के दौरान बिजली उत्पादन में 1.1 प्रतिशत की गिरावट आई है।