G20 समिट में क्रिप्टोकरेंसी पर बड़ा फैसला लिया गया है। नई दिल्ली के प्रगति मैदान में भारत मंडपम में चल रहे जी20 समिट में शामिल सभी देश इस बात पर सहमत हो गए हैं कि क्रिप्टोकरेंसी को रेग्यलेट करने के लिए एक वैश्विक कानून की जरूरत है। इसके लिए एक ग्लोबल रेग्युलेटरी फ्रेमवर्क बनाने की जरूरत है। आईएमएफ-फाइनेंशियल स्टेबिलिटी बोर्ड (एफएसबी) यह ग्लोबल रेग्युलेटरी फ्रेमवर्क बनाएंगे। इस बात की जानकारी देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संवाददाताओं को कहा कि हम क्रिप्टोएसेट इकोसिस्टम में तेजी से हो रहे विकास और जोखिमों पर बारीकी से नजर बनाए हुए हैं। जानकारों का कहना है कि ग्लोबल रेग्युलेटरी फ्रेमवर्क बनाने से क्रिप्टोकरेंसी के गलत इस्तेमाल पर नकेल कसने में मदद मिलेगी। अभी क्रिप्टोकरेंसी से आतंकी फंडिंग और गलत काम में इस्तेमाल का खतरा बना हुआ है।
हम क्रिप्टो-परिसंपत्ति गतिविधियों और बाजारों और वैश्विक मुद्रा व्यवस्था के विनियमन और निगरानी के लिए वित्तीय स्थिरता बोर्ड (एफएसबी) की उच्च-स्तरीय सिफारिशों का समर्थन करते हैं। हम आईएमएफ-एफएसबी सिंथेसिस पेपर का स्वागत करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि हमारे वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंक के गवर्नर अक्टूबर 2023 में अपनी बैठक में इस ग्लोबल रोडमैप को आगे बढ़ाने पर चर्चा करेंगे। हम क्रिप्टो इकोसिस्टम: प्रमुख प्वाइंट और जोखिम पर बीआईएस रिपोर्ट का भी स्वागत करते हैं।
पीएम मोदी ने वैश्विक ढांचे पर जोर दिया था
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने क्रिप्टोकरेंसी पर एक वैश्विक ढांचे और कृत्रिम मेधा (एआई) के नैतिक उपयोग का आह्वान किया था। प्रधानमंत्री ने कहा था कि क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी एक चुनौती है। इस मामले में अधिक से अधिक एकजुटता की जरूरत है। मुझे लगता है कि इस बारे में एक वैश्विक ढांचा तैयार करना चाहिए, जिसमें सभी हितधारकों के हितों का ख्याल रखा जाए।’’ उन्होंने कहा कि कृत्रिम मेधा के संबंध में भी इसी तरह के दृष्टिकोण की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘आज दुनिया एआई को लेकर बहुत उत्साह दिखा रही है, लेकिन इसके बीच कुछ नैतिक विचार भी हैं।
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