मोदी सरकार के नाम एक और बड़ी उपलब्धि, इतने करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला, इन 5 राज्यों को सबसे अधिक फायदा
रिपोर्ट में कहा गया कि पोषण अभियान और एनीमिया मुक्त भारत जैसी योजनाओं ने स्वास्थ्य के मोर्चे पर कमियों को दूर करने में योगदान दिया है।
मोदी सरकार के नाम एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ गई है। प्रधानमंत्री मोदी के लगातारा उठाए गए कदमों से देश में गरीबों की संख्या में बड़ी कमी आई है। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, बीते पांच साल यानी 2015-16 से 2019-21 के बीच भारत में 13.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘ भारत में बहुआयामी गरीबों की संख्या में उल्लेखनीय रूप से 9.89 प्रतिशत अंक की कमी आई है। यह 2015-16 में 24.85 प्रतिशत थी और 2019-21 में कम होकर 14.96 प्रतिशत पर आ गई।’’ रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों की संख्या में सबसे अधिक कमी आई है। ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों की संख्या 32.59 प्रतिशत से घटकर 19.28 प्रतिशत पर आ गई है। वहीं शहरी क्षेत्रों में गरीबों की संख्या 8.65 प्रतिशत से घटकर 5.27 प्रतिशत रह गई है।
इन 5 राज्यों में गरीबों की संख्या में बड़ी गिरावट
रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरान उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा तथा राजस्थान में गरीबों की संख्या में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई। नीति आयोग मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) बी.वी.आर. सुब्रमण्यम ने कहा कि भारत 2023 की निर्धारित समयसीमा की तुलना से काफी पहले एसडीजी (सतत विकास लक्ष्य) 1.2 (बहुआयामी गरीबी को कम से कम आधा घटाने के लक्ष्य) को हासिल करने की दिशा में बढ़ रहा है। रिपोर्ट में कहा गया कि पोषण अभियान और एनीमिया मुक्त भारत जैसी योजनाओं ने स्वास्थ्य के मोर्चे पर कमियों को दूर करने में योगदान दिया है। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार सरकार के स्वच्छता, पोषण, रसोई गैस, वित्तीय समावेशन, पेयजल और बिजली तक पहुंच में सुधार पर ध्यान देने से इन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। एमपीआई के सभी 12 मापदंडों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
सभी 12 मापदंडों में सुधार हुआ
नीति अयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने सोमवार को आयोग की ‘राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक: एक प्रगति संबंधी समीक्षा 2023’ रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘ 2015-16 से 2019-21 के बीच रिकॉर्ड 13.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं।’’ राष्ट्रीय एमपीआई (बहुआयामी गरीबी सूचकांक) स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवनस्तर के तीन समान रूप से भारित आयामों में आभावों को मापता है। इन्हें 12 सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) से जुड़े संकेतकों से दर्शाया गया है। नीति आयोग के अनुसार सभी 12 मापदंडों में सुधार हुआ है। ऑक्सफोर्ड गरीबी एवं मानव विकास पहल (पीएचआई) और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की ओर से जारी वैश्विक एमपीआई के ताजा आंकड़ों के अनुसार 2005-06 से 2019-21 तक केवल 15 साल में भारत में 41.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले। एमपीआई मूल्य पांच वर्ष में 0.117 से घटकर 0.066 हो गया और 2015-16 से 2019-21 के बीच गरीबी की गहनता 47 प्रतिशत से घटकर 44 प्रतिशत पर आ गई।