Banks, बीमा कंपनियों, म्युचुअल फंडों के पास 70,000 करोड़ रुपये लावारिस पड़े हैं। दरअसल, जमाकर्ताओं/कानूनी वारिसों/नामितियों द्वारा दावा न करने के चलते ये राशि विभिन्न बैंकों, बीमा कंपनियों और म्यूचुअल फंडों के पास पड़े हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की एक रिपोर्ट के अनुसार, बैंकों के मामले में, वित्त वर्ष 22 के अंत में दावा न की गई राशि 48,200 करोड़ रुपये से अधिक है। रिपोर्ट के अनुसार, बैंकों में लावारिस जमा- डिपोसिट्स-एसबी/सीए/फिक्स्ड, 10 वर्षो के लिए दावा नहीं किया गया, पिछले साल 48,200 करोड़ रुपये से अधिक था, जो 2021 में लगभग 39,200 करोड़ रुपये और 2020 में लगभग 24,000 करोड़ रुपये था।
आसानी से पता लगा कर सकते हैं दावा
आरबीआई के अनुसार, कानूनी उत्तराधिकारी/नामित बैंक की वेबसाइट पर दावा न की गई राशि का पता लगा सकते हैं, कुछ सरल डेटा में फीड कर सकते हैं और शेष राशि का दावा कर सकते हैं। यदि कोई बीमा कंपनियों, म्यूचुअल फंड और अन्य दावा न की गई प्रतिभूतियों के पास दावा न की गई राशि को ध्यान में रखता है, तो संचयी राशि कहीं अधिक होगी। उदाहरण के लिए, भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के मामले में, दावा न की गई राशि लगभग 21,000 करोड़ रुपये से अधिक है। बैंक 10 वर्षो के लिए अपने व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए इस लगभग मुफ्त फ्लोट का खुशी-खुशी उपयोग करते हैं, जिसके बाद इसे आरबीआई द्वारा बनाए गए जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता कोष (डीईएएफ) में स्थानांतरित कर दिया जाता है।
ऑनलाइन चेक करने की सुविधा
बैंक, म्यूचुअल फंड कंपनियां, बीमा कंपनियां अपने कस्टमर्स को बकाया दावों या उसके साथ बकाया राशि को चेक करने की सुविधा देते हैं। इन कंपनियों की अधिकारिक वेबसाइट से यह जानकारी हासिल की जा सकती है। इसके लिए वेबसाइट पर जाकर जन्म तिथि और पैन कार्ड नंबर की जानकारी देनी होती है। इसके बाद आप पैसे का दावा कर सकते हैं।
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