चार सरकारी बैंकों के मर्जर की सोशल मीडिया पर प्रसारित खबर को लेकर सरकार ने स्पष्टीकरण जारी किया है। वित्त मंत्रालय द्वारा सोशल मीडिया पर चल रहे दस्तावेजों को लेकर कहा कि ये संसदीय कमेटी की नियमित प्रक्रिया का हिस्सा है। इसका मर्जर से कोई लेनादेना है। मर्जर की अफवाह को देखते हुए केंद्र सरकार द्वारा मीटिंग का एजेंडा को भी बदल दिया है। वहीं, समाचार एजेंसी रॉयटर्स द्वारा सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि सरकार बैंकों के मर्जर पर कोई विचार नहीं कर रही है।
चार बैंकों के मर्जर की उड़ी थी अफवाह
सोशल मीडिया हैंडल एक्स (पूर्व ट्विटर) पर यूनियन बैंक व यूको बैंक और बैंक ऑफ इंडिया व बैंक ऑफ महाराष्ट्र से जुड़ा एक दस्तावेज प्रसारित किया जा रहा था। इस दस्तावेज के सोर्स के बारे में कोई जानकारी सामने नहीं आई थी। न ही सरकारी बैंकों की ओर से इसकी सूचना स्टॉक एक्सचेंजों को दी गई थी। दस्तावेज में कहा गया कि एक संसदीय समिति बैंकिंग कानूनों के तहत जनवरी के पहले सप्ताह में चार पीएसयू बैंकों के साथ चर्चा करेगी, जो अन्य चीजों के अलावा विलय और अधिग्रहण को नियंत्रित करते हैं। इस दस्तावेज में यूको बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, बैंक ऑफ इंडिया और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का नाम भी था।
इसके अलावा दस्तावेज में न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी, ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी, नेशनल इंश्योरेंस कंपनी और एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस एमडी एवं सीईओ के सीएमडी को भी संबोधित किया था। इन सभी के बीच प्रसावित बैठक 2 से लेकर 6 जनवरी के बीच मुंबई और गोवा में है।
सरकारी बैंकों का मर्जर
2017 में बैंकों का मर्जर शुरू हुआ था। इसी वर्ष एसबीआई की ओर से उसकी पांचों सहायक बैंकों का भारतीय स्टेट बैंक में विलय किया गया था। इसके बाद विजया बैंक और देना बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा में और फिर मार्च 2020 में ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का पंजाब नेशनल बैंक में, सिंडिकेट बैंक का केनरा बैंक में, आंध्रा बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक का यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में और इलाहाबाद बैंक का इंडियन बैंक में विलय किया गया था।
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