सरकारी स्कीम से मृतक का होता रहा इलाज, CAG का आयुष्मान भारत स्कीम पर बड़ा खुलासा
CAG Ayushman Bharat Scheme: सरकारी स्कीम का गलत फायदा उठाने को लेकर एक हैरान करने वाली रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें पता चला है कि मरे हुए व्यक्ति के नाम पर इलाज हुआ है।
Ayushman Bharat Scheme: भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) के संबंध में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन रोगियों की पहले मृत्यु हो चुकी है, उनके नाम पर इस योजना के जरिए इलाज चल रहा है। जिन राज्यों में ऐसे सबसे अधिक मामले सामने आए हैं वे हैं छत्तीसगढ़, हरियाणा, झारखंड, केरल और मध्य प्रदेश के हैं। टीएमएस में मृत्यु के मामलों के डेटा विश्लेषण से पता चला है कि योजना के तहत निर्दिष्ट उपचार के दौरान 88,760 रोगियों की मृत्यु हो गई है। इन रोगियों के संबंध में नए उपचार से संबंधित कुल 2,14,923 दावों को सिस्टम में भुगतान के रूप में दिखाया गया है। ऑडिट में आगे कहा गया है कि उपरोक्त दावों में से 3,903 में 3,446 मरीजों से संबंधित 6.97 करोड़ रुपये की राशि अस्पतालों को भुगतान की गई है।
एक मरीज का एक साथ कई जगह चलता रहा इलाज
आगे के डेटा विश्लेषण से पता चला कि एक ही मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की एक ही अवधि के दौरान कई अस्पतालों में प्रवेश मिल सकता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अस्पताल में भर्ती होने की एक ही अवधि के दौरान किसी भी मरीज को विभिन्न अस्पतालों में भर्ती होने से रोकने की कोई व्यवस्था नहीं थी। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) ने जुलाई 2020 में इस मुद्दे को स्वीकार किया था। एनएचए ने कहा कि ये मामले उन परिदृश्यों में सामने आते हैं जहां एक बच्चे का जन्म एक अस्पताल में होता है और मां की पीएमजेएवाई आईडी का उपयोग करके दूसरे अस्पताल में नवजात देखभाल के लिए स्थानांतरित किया जाता है। सीएजी द्वारा आगे के डेटा विश्लेषण से पता चला कि डेटाबेस में 48,387 मरीजों के 78,396 दावे शुरू किए गए थे, जिसमें पहले के इलाज के लिए इन मरीजों की छुट्टी की तारीख उसी मरीज के दूसरे इलाज के लिए प्रवेश की तारीख के बाद की थी।
इन राज्यों में हुआ सबसे अधिक खेल
इन मरीजों में 23,670 पुरुष मरीज शामिल हैं। ऐसे मामले छत्तीसगढ़, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश और पंजाब में अधिक प्रचलित थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह के दावों का सफल भुगतान राज्य स्वास्थ्य एजेंसियों (एसएचए) की ओर से अपेक्षित जांचों को सत्यापित किए बिना दावों को संसाधित करने में चूक की ओर इशारा करती है। हालांकि, एनएचए ने पिछले साल अगस्त में कहा था कि यह समस्या कंप्यूटर की तारीख और समय के गैर-सिंक्रनाइज़ेशन, नवजात शिशुओं के मामलों, प्रवेश की तारीख के बाद पूर्व-प्राधिकरण की रिकॉर्डिंग के कारण थी। सीएजी की रिपोर्ट संसद में तब पेश की गई जब स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल ने एक लिखित उत्तर में राज्यसभा को बताया कि सरकार एबी के तहत संदिग्ध लेनदेन और संभावित धोखाधड़ी का पता लगाने के लिए एआई और मशीन लर्निंग का उपयोग करती है।
बघेल ने कहा कि इन टेकनोलॉजी का उपयोग स्वास्थ्य देखभाल धोखाधड़ी की रोकथाम, पता लगाने और निवारण के लिए किया जाता है। उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी पात्र लाभार्थियों को उचित उपचार सुनिश्चित करने में सहायक हैं। मंत्री ने उच्च सदन को बताया कि 1 अगस्त 2023 तक योजना के तहत कुल 24.33 करोड़ आयुष्मान भारत कार्ड बनाए गए हैं।
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