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Aviation World: बिना लंबा रन-वे के हवाई जहाज भरेंगे उड़ान, भारत सरकार ने शुरू की तैयारी

उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीटा टेक्नोलॉजीज से भारतीय बाजार में एवटोल की संभावनाओं को तलाशने के लिए कहा है।

<p>EVTOL</p>- India TV Paisa Image Source : FILE EVTOL

Aviation World: आने वाले समय में बिना लंबा रन-वे के हवाई जहाज उड़ान भर सकते हैं। विदेशों में इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है। अब भारत सरकार ने भी इसे देश में लाने के लिए काम शुरू किया है। दरअसल, हाल में अमेरिका और कनाडा के दौरे पर गए नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने देश में इलेक्ट्रिक वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग (एवटोल) की संभावनाओं को तलाशने का निर्देश दिया है। सरकार इलेक्ट्रिक एवटोल विमान विनिर्माताओं को घरेलू बाजार में लाने पर विचार करने के साथ इस तरह के विमानों के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित करने की संभावनाओं की तलाश करने को कहा है। 

सिंधिया ने कई कंपनियों को भारत में आमंत्रित किया 

इस संबंध में नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीटा टेक्नोलॉजीज से भारतीय बाजार में एवटोल की संभावनाओं को तलाशने के लिए कहा है। कंपनी की ब्लेड ग्रुप के साथ साझेदारी है। सिंधिया ने बुधवार को कहा कि उन्होंने कुछ कंपनियों को आने और भारतीय बाजार में इस तरह के विमानों की संभावनाओं को तलाशने का न्योता दिया है। उन्होंने हाल में अमेरिका और कनाडा के दौरा पर इस क्षेत्र की कई कंपनियों के साथ भारतीय विमानन क्षेत्र की संभावनाओं पर चर्चा की थी। 

क्या होता है एवटोल? 

वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग (एवटोल) में हवाई जहाज, एयरटैक्सी या ड्रोन को उड़ान भरने या लैंडिंग करने के लिए लंबे रन-वे की जरूरत नहीं होती है। इस टेक्नोलॉजी से तैयार विामन वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग के कर सकते हैं। इसका सबसे अच्छा उदाहरण हेलीकॉप्टर है, लेकिन F35B फाइटर जेट एक एयरक्राफ्ट कैरियर भी ऐसा कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि आमतौर पर एयरपोर्ट पर विमान के टेकऑफ और लैंडिंग के लिए लंबे रन-वे का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन एवटोल पर ऐसा नहीं होता है। इस एयरपोर्ट पर इन सभी चीजों की लैंडिंग वर्टिकली होंगी। यानी हवाई जहाज, ड्रोन हो या एयर टैक्सी सभी ऊपर से नीचे की तरफ सीधे उतरेंगे। इसलिए रन-वे की जरूरत नहीं पड़ेगी। इन सभी के उड़ने के लिए एयरपोर्ट की तरह एक सेंट्रलाइज पॉइंट बनाया गया है जिसे वर्टिपोर्ट कहा गया है। छोटे विमान के संचलान में इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल व्यापक पैमाने पर हो सकता है। 

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