दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को भुगतान ऐप भारत पे के पूर्व प्रबंध निदेशक अश्नीर ग्रोवर को समन जारी किया। कंपनी के सह-संस्थापक की याचिका पर उन्हें तलब किया गया है। याचिका में उन शेयरों पर दावा किया गया है, जिन्हें ग्रोवर को दिया गया था। न्यायाधीश प्रतीक जालान ने ग्रोवर के वकील की इस बात पर गौर किया कि वह मामले में अपना पक्ष रखेंगे। अदालत ने कहा, ‘‘प्रतिवादी (ग्रोवर) को निर्देश दिया जाता है कि वे एक सप्ताह के भीतर इस संदर्भ में हलफनामा दायर करे।
आवेदन पर जवाब चार सप्ताह में दिया जाएगा और उसके दो सप्ताह बाद उसपर पक्ष रखा जाए।’’ मामले की अगली सुनवाई 16 मार्च को होगी। अदालत भारत-पे के सह-संस्थापक भाविक कोलाडिया की याचिका पर सुनवाई कर रही है। इसमें कहा गया है कि उन्होंने ग्रोवर को 1,600 शेयर बेचे थे। जिसका मूल्य करीब 88 लाख था। लेकिन यह पैसा उन्हें नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि शेयर अब बढ़कर 16,000 से अधिक हो गए हैं और इसका मालिकाना हक ग्रोवर को देने की जरूरत नहीं है।
कोलाडिया ने कहा कि वह अपना सामान मांग रहे हैं, जो उन्होंने दिया था। हालांकि, ग्रोवर के वकील ने कहा कि अदालत को जो दस्तावेज दिखाये गये हैं, वे गलत हैं। उनके मुवक्किल की पत्नी ने कोलाडिया की पत्नी को आठ करोड़ रुपये दिये थे। जब अदालत ने यह पूछा कि कोलाडिया ने अपने शेयर क्यों दिये, इस पर भारत-पे के सह-संस्थापक की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि वह ऐसे हैं, जो जल्दी ही दूसरे पर भरोसा कर लेते हैं।
कोलाडिया और शास्वत नकरानी ने भारतपे का गठन जुलाई, 2017 में किया था। हालांकि, यह मार्च, 2018 तक गठित नहीं हुई। ग्रोवर जून, 2018 में कंपनी से जुड़े और मार्च, 2022 में इस्तीफा दे दिया।
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