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Artificial Intelligence जॉब मार्केट के लिए आपदा नहीं, अवसर है! नजरिया बदलने से होगा काम

डिजिटल तौर-तरीकों का चलन बढ़ने से स्वतंत्र रूप से अस्थायी कार्य करने वाले कर्मचारियों की तादाद में भी इजाफा हो रहा है।

Artificial Intelligence- India TV Paisa Image Source : FILE Artificial Intelligence

Artificial Intelligence: अंतरराष्ट्रीय नियोक्ता संगठन (IOE) के महासचिव रॉबर्टो सुआरेज सेंटोस ने बृहस्पतिवार को कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कारण रोजगार जगत में आ रहे बदलावों को डर या रुढ़िवादी सोच के बजाय रचनात्मक नजरिये से देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस सिलसिले में रचनात्मक नजरिया यह है कि इस बात पर गौर किया जाए कि एआई सरीखी अत्याधुनिक तकनीकों का फायदा उठाकर कर्मियों के लिए किस तरह नये मौके पैदा किए जा सकते हैं। सेंटोस ने इंदौर में कहा कि हमें यह बात ध्यान में रखनी होगी कि आने वाले दिनों में अधिकांश परंपरागत काम गायब नहीं होंगे। लेकिन एआई जैसी नयी तकनीकों के कारण इनको करने का तरीका जरूर बदल जाएगा। 

नजरिया बदलने से होगा काम

सेंटोस, कामकाज के भविष्य, स्किल विकास और गतिशीलता पर B20 सम्मेलन में हिस्सा लेने आए थे। B20 कारोबार के वैश्विक समुदाय से संवाद के लिए जी20 समूह का आधिकारिक मंच है। स्विट्जरलैंड के जिनेवा स्थित आईओई के महासचिव ने कहा कि एआई सरीखी तकनीकों के कारण रोजगार जगत में आ रहे बदलावों को डर या रुढ़िवादी सोच से नहीं देखा जाना चाहिए। हमें इन बदलावों को इस रचनात्मक नजरिये से देखना चाहिए कि हम एआई की क्षमताओं का फायदा उठाकर व्यक्तिगत स्तर पर काम करने वाले पेशेवरों और कर्मचारियों को किस तरह नये मौके दे सकते हैं। इस नजरिये से हम आने वाले दिनों में तय बदलावों से गुजरकर विजेता के रूप में उभर सकते हैं। 

कभी डिजिटल भी था चुनौती

उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि अभी यह भविष्यवाणी करनी मुश्किल है कि एआई तकनीक रोजगार खत्म करेगी या नये रोजगार पैदा करेगी? उन्होंने कहा कि 2019 में ऑटोमेशन और रोजगार पर डिजिटल साधनों के असर को लेकर कुछ भविष्यवाणियां की गई थीं, लेकिन ये बहुत सटीक नहीं रही थीं। सेंटोस ने कहा कि वक्त के बदलावों के बीच कार्मिक जगत में कौशल की कमी नजर आती है, लेकिन यह सटीक अनुमान लगाना हमेशा से चुनौतीपूर्ण रहा है कि दुनिया को आने वाले दिनों में किन हुनर वाले लोगों की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि वक्त के साथ कौशल की जरूरत भी लगातार बदलती रहती है। लिहाजा हमें कर्मियों के साथ ही कंपनियों को भी को लगातार कौशलसंपन्न बनाते रहना होगा। हमें देखना होगा कि हम प्रगतिशील रवैया अपना कर गिग कर्मियों को सामाजिक सुरक्षा के टिकाऊ तंत्र के दायरे में किस तरह ला सकते हैं। 

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