पिछले एक महीने में अरहर (arhar dal) और चना दाल (chana dal) की कीमत में करीब 4 प्रतिशत की गिरावट आई है। यह सरकार की तरफ से लिए गए एक्शन का नतीजा है। सरकार ने अफ्रीका से अरहर दाल और कनाडा से मसूर के बढ़ते आयात और स्टॉक लिमिट पर सख्त कार्रवाई की है। चने की तेज बिक्री के साथ ऊंची कीमतों के बीच उपभोक्ता मांग में कमी आने से भी दाल की कीमतों (pulses price) में नरमी आई है। अरहर दाल बाजार में सबसे महंगी है।
चना दाल और मसूर हुए सस्ते
व्यापार निकाय भारतीय दलहन और अनाज संघ (IPGA) एक रिपोर्ट में कहा है कि दाल की थोक कीमत में केंद्र सरकार द्वारा व्यापारियों और प्रोसेसरों पर लगाई गई स्टॉक सीमा के चलते दालों के तेवर में कमी देखने को मिली है। इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक, चना दाल (chana dal), जो फिलहाल बाजार में उपलब्ध सबसे सस्ती दाल है, की कीमत में एक महीने में 4 प्रतिशत घटी है। इसी तरह, बढ़ते आयात और कम मांग के चलते मसूर की कीमत में 2% से ज्यादा की नरमी देखने को मिली है।
अरहर दाल की कीमतों पर दबाव रहने की उम्मीद
खबर के मुताबिक, सुस्त मांग और अफ्रीका से सप्लाई में अनुमानित तेजी के चलते इस सप्ताह अरहर दाल की कीमतों (arhar dal price) पर दबाव रहने की उम्मीद है। चना दाल की कीमतों (chana dal price) में और गिरावट की उम्मीद है क्योंकि सरकारी एजेंसी राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नेफेड) इसे कम दरों पर बेच रही है। सस्ती दरों पर चने की सप्लाई में बढ़ोतरी, नेफेड द्वारा कॉम्पिटीटिव टेंडर और भारत दाल की पॉपुलैरिटी के चलते अक्टूबर में चने की कीमतों में गिरावट जारी रही।
त्योहार में बढ़ सकते हैं दालों के तेवर
उद्योग के अधिकारियों का मानना है कि त्योहारी मांग में किसी भी उछाल से दालों की कीमतों (dal price) में कुछ बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। सब्जियों में, टमाटर, जिनकी कीमतें जुलाई में खुदरा बाजार में 150 रुपये प्रति किलोग्राम को पार कर गई थीं, अब 10-20 रुपये प्रति किलोग्राम पर बिक रही हैं। थोक बाजारों में टमाटर एक महीने से अधिक समय से 3-6 रुपये प्रति किलोग्राम पर कारोबार कर रहा है और आने वाले 2-3 हफ्तों में यह ट्रेंड जारी रहने की संभावना है।
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