अमेरिकी केंद्रीय बैंक US Fed ने ब्याज दर में 10वीं बार 0.25% की बढ़ोतरी की, जानें भारतीय बाजार पर क्या होगा असर
विशेषज्ञों के मुताबिक, भारत में महंगाई बढ़ने की संभावना नहीं है क्योंकि वैश्विक मंदी की आशंका के चलते कच्चे तेल की कीमत में बड़ी गिरावट आई है। वहीं, रुपया एक जोन में ट्रेड कर रहा है। ऐसे में फेड के इस फैसले से भारत में महंगाई बढ़ने की संभावना नहीं है।
अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने महंगाई को 2 फीसदी तक लाने के लिए एक बार फिर ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है। बुधवार देर रात अपने फैसले में यूएस फेड ने ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी करने का ऐलान किया। इसके साथ ही ब्याज दर बढ़कर 5% से 5.25% हो गई है। आपको बता दें कि कोरोना महामारी के बाद बढ़ी ब्याज दर को काबू करने के लिए यूएस फेड ने लगातार 10वीं बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है। इसके चलते ब्याज दर 2007 के बाद रिकाॅर्ड हाई पर पहुंच गई है। अमेरिकी केंद्रीय बैंक के इस फैसले का असर आज दुनिया भर के शेयर बाजारों पर देखने को मिल सकता है। फेड के फैसले के बाद डाउ जोंस में बिकवाली देखने को मिली। आइए जानते हैं कि फेड के इस फैसले का भारतीय बाजार पर क्या असर हो सकते हैं।
1. भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली का खतरा
बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि फेड की ओर से ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बाद विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली कर सकते हैं, जिससे बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है। पिछले छह महीने से भारतीय शेयर बाजार से विदेशी निवेशक तेजी से पैसा निकाल रहे हैं। उसकी रफ्तार अब और तेज हो सकती है। कई सेक्टर में बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है।
2. डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होगा
फेड के इस फैसले से डॉलर को मजबूती मिलेगी जो रुपए को कमजोर कर सकता है। रूस-यूक्रेन संकट के कारण पहले ही रुपया 76 के करीब पहुंच चुका है। ऐसे में आगे अब और गिरावट रुपये में देखने को मिल सकती है।
3. बढ़ सकती है लोन की एमएआई
फेड द्वारा ब्याज दरें बढ़ाने से आरबीआई (RBI) पर भी रेपो रेट (Repo Rate) में वृद्धि करने का दबाव बनेगा। फेड की ब्याज दरें बढ़ने पर अमेरिका और भारत के बॉन्ड के बीच अंतर कम हो जाएगा। इससे विदेशी निवेशक भारतीय सरकारी प्रतिभूतियों से पैसा निकालने लगेंगे। विदेशी निवेशकों की इस बिकवाली को रोकने के लिए आरबीआई को भी दरों में वृद्धि करनी पड़ेगी। आरबीआई द्वारा प्रमुख ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी से देश में सरकारी व निजी बैंक जमा और लोन पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी करेंगी। जिसका सीधा असर यह होगा कि सभी तरह के लोन महंगे हो जाएंगें। यानी लोन की ईएमआई बढ़ेगी।
4. विदेशी फंड जुटाना मुश्किल होगा
अमेरिकी फेड द्वारा ब्याज दरें बढ़ाने से भारतीय कंपनियों के लिए विदेशी धन की उपलब्धता और लागत पर असर पड़ेगा। वैश्विक निवेशक दुनिया भर की संपत्तियों में निवेश करने के लिए शून्य या कम ब्याज दरों वाली मुद्राओं में उधार लेते हैं। अब यह मुश्किल होगा। इससे कंपनियों के लिए एफडीआई से फंड जुटाना थोड़ा मुश्किल हो जाएगा।
क्या भारत में महंगाई बढ़ेगी
विशेषज्ञों के मुताबिक, भारत में महंगाई बढ़ने की संभावना नहीं है क्योंकि वैश्विक मंदी की आशंका के चलते कच्चे तेल की कीमत में बड़ी गिरावट आई है। वहीं, रुपया एक जोन में ट्रेड कर रहा है। ऐसे में फेड के इस फैसले से भारत में महंगाई बढ़ने की संभावना नहीं है। हां, शेयर बाजार पर असर देखने को मिल सकता है।