All Time Low: आने वाली है "महंगाई की सुनामी", रुपया 77.60 प्रति डॉलर के अब तक के सबसे निचले स्तर पर
अमेरिकी फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पावेल की आक्रामक टिप्पणियों के बाद वैश्विक बाजार में डॉलर में तेजी लौटने से रुपया अपने दिन के निचले स्तर 77.61 प्रति डॉलर तक गया।
अगर अभी महंगाई आपकी कमर तोड़ रही है तो अपने कंधे मजबूत कर लीजिए। रुपये ने आज एक बार फिर एतिहासिक गहराई छू ली है। विदेशी बाजारों में मजबूत अमेरिकी डॉलर तथा विदेशी कोषों की निकासी के बीच अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में बुधवार को रुपया 16 पैसे की गिरावट के साथ 77.60 प्रति डॉलर (अस्थायी) के अपने सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ।
अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया डॉलर के मुकाबले 77.57 पर कमजोर खुला। अमेरिकी फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पावेल की आक्रामक टिप्पणियों के बाद वैश्विक बाजार में डॉलर में तेजी लौटने से रुपया अपने दिन के निचले स्तर 77.61 प्रति डॉलर तक गया।
क्या है रुपया गिरने का कारण
अमेरिका के ऊंचे मुद्रास्फीति के आंकड़ों के बाद ब्याज दर में आक्रामक वृद्धि की आशंका तथा जोखिम उठाने की धारणा में सुधार के बीच वैश्विक बाजारों में डॉलर के दो दशक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। इसका असर भारत सहित दुनिया भर के बाजार पर देखने को मिला है।
डॉलर इंडेक्स में वृद्धि
कारोबार के अंत में रुपया 77.60 पर बंद हुआ, जो पिछले बंद भाव 77.44 से 16 पैसे की गिरावट को दर्शाता है। इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.3 प्रतिशत बढ़कर 103.59 हो गया। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा का दाम एक प्रतिशत बढ़कर 113 डॉलर प्रति बैरल हो गया।
विदेशी निवेशकों की निकासी पड़ रही भारी
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक पूंजी बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे और उन्होंने मंगलवार को 2,192.44 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे।
रुपये में कमजोरी का आपकी जेब पर असर
विदेशों में बच्चों को पढ़ाना और घूमना महंगा होगा: भारत में उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने का चलन बहुत पुराना है। भारतीय छात्र उच्च शिक्षा के लिए ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, यूरोप जाते हैं। रुपये की गिरावट भारत में विदेश-शिक्षा के इस रुझान पर बड़ा असर डालेगा क्योंकि अब समान शिक्षा के लिए पहले की तुलना 15 से 20 फीसदी ज्यादा खर्च करना पड़ेगा।
महंगाई और बढ़ जाएगी: रुपये टूटने से भारत में महंगाई और बढ़ जाएगी। पेट्रोल-डीजल से लेकर तमाम जरूरी के सामान के दाम बढ़ने स महंगाई बढ़ेगी। वहीं, दिनों-दिन रुपए की बिगड़ रही हालत निवेशकों को भारतीय अर्थव्यवस्था के हालात के संकेत भी दे रही है। इससे निवेशकों के रुख पर भी बुरा असर होगा।
आयात बिल बढ़ेगा: रुपये की कमजोरी से सबसे ज्यादा नुकसान कच्चे तेल के आयात पर होगा। कच्चे तेल का आयात बिल में बढ़ोतरी होगी और विदेशी मुद्रा ज्यादा खर्च करना होगा।
इलेक्ट्रॉनिक सामान महंगे होंगे: रुपये की कमजोरी से इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र को नुकसान होगा, क्योंकि महंगे इलेक्ट्रॉनिक गु्ड्स आयात करने होंगे। नकारात्मक असर जेम्स एंड ज्वैलरी सेक्टर पर दिखाई देगा।
उर्वरक की कीमत बढ़ेगी: भारत बड़ी मात्रा में जरूरी उर्वरकों और रसायन का आयात करता है। रुपये की कमजोरी से यह भी महंगा होगा।