हवाई यात्रा करने वालों की बढ़ सकती है परेशानी, एयरलाइन कंपनियां इस कारण संकट से जूझ रही
गत दो जुलाई को इंडिगो की करीब 55 प्रतिशत घरेलू उड़ानों में देरी हुई क्योंकि इसके चालक दल की एक बड़ी संख्या छुट्टी पर चली गई थी।
Highlights
- एयरलाइन में नए लोगों को 8,000 से 15,000 रुपये का वेतन ही दिया जा रहा है
- कई कंपनियों के तकनीशियन पिछले एक सप्ताह दौरान ‘बीमारी’ के कारण अवकाश पर
- जेट एयरवेज और टाटा के स्वामित्व वाली एयर इंडिया द्वारा चलाया जा रहा भर्ती अभियान
भारतीय एयरलाइन कंपनियां महामारी के बाद ‘अच्छे दिन’ लौटने की उम्मीद कर रही हैं, लेकिन उनके सामने फिर संकट खड़ा होता दिख रहा है। उड़ानों का परिचालन सामान्य होने के बीच इस समय उन्हें एक और मुद्दे का सामना करना पड़ रहा है, जिसपर उन्होंने पिछले दो साल के दौरान ध्यान नहीं दिया। यह मुद्दा है कर्मचारियों के कम वेतन का। इंडिगो और गो फर्स्ट के विमान रखरखाव तकनीशियनों का एक बड़ा वर्ग कम वेतन के विरोध में पिछले एक सप्ताह दौरान ‘बीमारी’ के कारण अवकाश पर है। ऐसे में आने वाले दिनों में हवाई यात्रियों की परेशानी बढ़ सकती है। घरेलू उड़ानों में देरी या रद्द होने की आशंका बढ़ सकती है।
कई कंपनियों ने शुरू की नई भर्तियां
हालांकि, कर्मचारियों की कमी के बावजूद, कुछ-एक घटनाओं को छोड़कर दोनों एयरलाइन अपनी उड़ानों का परिचालन सुचारू रखने में सफल रही हैं। इन एयरलाइन में कर्मचारियों की कमी की एक और प्रमुख वजह आकाश एयर, पुनर्गठित जेट एयरवेज और टाटा के स्वामित्व वाली एयर इंडिया द्वारा चलाया जा रहा भर्ती अभियान भी है। गत दो जुलाई को इंडिगो की करीब 55 प्रतिशत घरेलू उड़ानों में देरी हुई क्योंकि इसके चालक दल की एक बड़ी संख्या छुट्टी पर चली गई थी। सूत्रों का कहना है कि ये कर्मचारी कथित रूप से एयर इंडिया में चल रही नियुक्ति गतिविधियों में भाग लेने गए थे। 13 जुलाई को स्पाइसजेट के कुछ पायलटों ने संदेश दिया कि एयरलाइन के कप्तान और ‘फर्स्ट ऑफिसर’ अपने कम वेतन के विरोध में बीमारी के अवकाश पर जा रहे हैं। हालांकि, एयरलाइन ने कहा कि उस दिन सभी पायलट काम पर आए थे।
कोरोना के दौरान की गई थी वेतन में कटौती
महामारी के चरम के दौरान भारतीय एयरलाइन कंपनियों ने अपने कर्मचारियों के वेतन में कटौती की थी। ज्यादातर अब भी अपने कर्मचारियों को कम वेतन दे रही हैं और उन्होंने उन्हें ‘पूरा’ वेतन देना शुरू नहीं किया है। एक किफायती विमानन सेवा कंपनी के वरिष्ठ कार्यकारी ने कहा कि कर्मचारी इस बात को जानते हैं कि उनके ऊपर इस समय काम का बोझ महामारी से पहले के समय जितना है, लेकिन उनको कम वेतन दिया जा रहा है। साथ ही महंगाई की वजह से उनकी स्थिति और खराब है। उन्होंने कहा कि इससे कर्मचारियों में असंतोष है। विशेष रूप से नीचे के पदों पर कार्यरत तकनीशियनों आदि में काफी नाराजगाी है। विरोध में शामिल रहने वाले दो तकनीकी कर्मचारियों ने कहा कि किफायती सेवाएं देने वाली एयरलाइन में नए लोगों को 8,000 से 15,000 रुपये का वेतन ही दिया जा रहा है, जो काफी कम है। हालांकि, कम वेतन का मुद्दा अभी उठ रहा है, लेकिन विरोध से पता चलता है कि विमानन उद्योग में यह स्थिति काफी समय से है। पिछले साल सितंबर और नवंबर में दो बार ऐसे मौके आए जबकि स्पाइसजेट के कर्मचारी दिल्ली हवाईअड्डे पर कम वेतन के विरोध में हड़ताल पर चले गए। इनमें ज्यादातर कर्मचारी सुरक्षा विभाग और विमान रखरखाव से जुड़े थे।
कुशल श्रमबल पर कंपनियों ने ध्यान नहीं दिया
दिसंबर, 2020 में विमानन क्षेत्र की सलाहकार कंपनी कापा (सीएपीए) इंडिया की रिपोर्ट में कहा था कि भारतीय विमानन क्षेत्र में मानव संसाधन प्रबंधन पर बाद में ध्यान दिया जाता है और यह स्थिति 2003-04 से है। रिपोर्ट में कहा गया था कि सैकड़ों विमान खरीद लिए जाते हैं और उन्हें बेड़े में शामिल कर लिया जाता है, लेकिन इस बात पर ध्यान नहीं दिया जाता कि इनके परिचालन के लिए कुशल श्रमबल की जरूरत है। राकेश झुनझुनवाला समर्थित आकाश एयर ने 72 मैक्स विमानों का ऑर्डर दिया है। यह इसी महीने से परिचालन शुरू करने की तैयारी कर रही है। इसी तरह जेट एयरवेज और एयर इंडिया भी बोइंग और एयरबस से विमान खरीदने के लिए बातचीत कर रही हैं।