विमान को समय से परिचालन करना हमेशा से एक बड़ी समस्या रहा है। सभी विमान कंपनियां दावा करती हैं कि उनकी उड़ान समय से यात्री को उनके गंतव्य स्थान पर पहुंचाएगी, लेकिन बहुत कम एयरलाइन ही इस दावे पर खरा उतर पाती है। ऐसे में एयर इंडिया को भी उड़ान में देरी करना भारी पड़ा और अब उसे इसकी एवज में यात्रियों को 2 लाख रुपये का हर्जाना देना पड़ेगा।
जानिए क्या है पूरा मामला
राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) की ओर से उन यात्रियों को दो लाख रुपये का मुआवजा देना आदेश दिया है, जिनकी उड़ानों में 2003 में देरी हुई थी। एनसीडीआरसी द्वारा आदेश में कहा गया कि एयरलाइन कनेक्टिंग फ्लाइट के दौरान अपने यात्रियों की देखरेख के लिए बाध्य हैं। अगर दोनों कनेक्टिंग फ्लाइट की एयरलाइन एक है। जैसा कि इस केस में देखने को मिल रहा है।
बता दें, 13 दिसंबर, 2003 को एसीडीआरसी में शिकायत दर्ज कराने वाले चार लोगों ने एयर इंडिया की तिरुवनंतपुरम से चेन्नई,चेन्नई से कोलकाता और बाद में कोलकाता से डिब्रूगढ़ की यात्रा के लिए चार अलग-अलग हवाई रिटर्निंग टिकट खरीदे थे। तिरुवनंतपुरम-चेन्नई उड़ान को देरी का सामना करना पड़ा, जिससे शिकायतकर्ताओं की कनेक्टिंग फ्लाइट छूट गई। शिकायतकर्ताओं ने अपने आरोप में कहा कि बेंगलुरु से कोलकाता के लिए सुबह 6 बजे प्रस्थान के एयरलाइन के भरोसे के बावजूद, आधी रात को वैकल्पिक व्यवस्था की गई। इसके साथ ही कहा कि इस दौरान एयरलाइन की ओर से जो खाना उपलब्ध कराया गया। वह काफी खराब क्वालिटी का था।
इसके बाद दिल्ली और डिब्रूगढ़ की फ्लाइट भी कोलकाता नहीं पहुंची, जिसके कारण शिकायतकर्ताओं को परेशानी का सामना करना पड़ा। अपनी यात्रा को अधूरा ही छोड़ना पड़ा। इसके बाद जिला फोरम में एयरलाइन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।
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