टाटा ग्रुप की स्वामित्व वाली एयरलाइन एयर इंडिया ने अपनी एक महिला पायलट को फ्लाइट से पहले सांस परीक्षण (ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट) में विफल पाए जाने की वजह से तीन महीने के लिए सस्पेंड कर दिया है। एयर इंडिया के एक अधिकारी ने मंगलवार को इस बात की जानकारी दी। अधिकारी ने कहा कि बोइंग 787 पायलट एक प्रथम अधिकारी हैं। भाषा की खबर के मुताबिक, पायलट उस समय टेस्ट में विफल रहीं जब उन्हें दिल्ली से हैदराबाद के लिए फ्लाइट ऑपरेट करनी थी।
पिछले सप्ताह हुई यह घटना
खबर के मुताबिक, अधिकारी ने बताया कि यह घटना पिछले सप्ताह हुई इस घटना के बाद पायलट को तीन महीने के लिए फ्लाइट से जुड़े काम-काज से हटा दिया गया है। हालांकि एयरलाइन ने इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं की है। एविएशन रेगुलेटर डीजीसीए के स्टैंडर्ड के मुताबिक,चालक दल के हर सदस्य को उड़ान ड्यूटी अवधि के दौरान पहले प्रस्थान एयरपोर्ट पर फ्लाइट से पहले सांस परीक्षण कराना होगा। जब चालक दल के सदस्य के परीक्षण का रिजल्ट पॉजिटिव आता है, तो कड़ी सजा का प्रावधान है और यह इस बात पर निर्भर करता है कि ऐसा पहले हुआ है या नहीं।
डीजीसीए ने मानदंडों को संशोधित किया था
यह उड़ान पूर्व और बाद दोनों टेस्ट के लिए लागू है। जो पायलट पहली बार उड़ान पूर्व सांस परीक्षण में विफल रहता है, उसे स्टैंडर्ड के मुताबिक तीन महीने की अवधि के लिए उड़ान दायित्वों से निलंबित किया जाएगा। पिछले साल, डीजीसीए ने शराब के सेवन के लिए विमान कर्मियों की चिकित्सा जांच की प्रक्रिया के मानदंडों को संशोधित किया था। नियमों के तहत चालक दल का कोई भी सदस्य किसी भी दवा/फॉर्मूलेशन का सेवन नहीं करेगा या किसी भी ऐसे पदार्थ जैसे माउथवॉश/टूथ जेल या ऐसे किसी उत्पाद का इस्तेमाल नहीं करेगा जिसमें अल्कोहल की मात्रा हो।
इसके तहत कि इसके परिणामस्वरूप श्वास विश्लेषक परीक्षण की रिपोर्ट पॉजिटिव आ सकती है। कोई भी चालक दल सदस्य जो ऐसी दवा ले रहा है, उसे उड़ान कार्य शुरू करने से पहले कंपनी के डॉक्टर से सलाह लेना होगा।
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