नई दिल्ली। बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली कमाई पर 30% की दर से टैक्स लगाने का ऐलान किया है। इस फैसले को लेकर इंडिया टीवी ने फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनी फिनवे एफएससी के फाउंडर और सीईओ रचित चावला से बात की और जानना चाहा कि इस फैसले का असर देश के लाखों क्रिप्टो निवेशकों पर क्या होगा? आइए, समझने की कोशिश करते हैं कि इस फैसले का क्या असर होगा?
बैन का खतरा अब नहीं लेकिन चुकाना होगा कर
चावला ने बताया कि आम बजट के बाद यह साफ हो गया है कि भारत सरकार क्रिप्टोकरेंसी को देश में बैन नहीं करने जा रही है। हां, अब यह जरूर हो गया है कि किसी भी डिजिटल करेंसी से होने वाली कमाई पर 30% की दर से टैक्स चुकाना होगा। अब तक इसके निवेश पर टैक्स को लेकर तस्वीर साफ नहीं थी, जिससे पारदर्शिता का अभाव था। अब यह संकट दूर हो गया है लेकिन कर चोरी करना अब संभव नहीं होगा। सरकार आसानी से क्रिप्टो एक्सचेंज के कॉन्टैक्ट नोट और रेमिटेंस डाटा के जरिये आसानी से जुटा लेगी। ऐसे में कर चोरी करना आगे संभव नहीं होगा।
खरीद-बिक्री पर एक प्रतिशत टीडीएस भी
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्रिप्टोकरेंसी और अन्य डिजिटल संपत्तियों पर 30 प्रतिशत कर लगाने के साथ ही ऐसी संपत्तियों को कर के दायरे में लाने के लिए एक सीमा से अधिक के लेन-देन पर एक प्रतिशत टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) लगाने का भी प्रस्ताव किया है। विशेषज्ञों ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी की बिक्री से प्राप्त आय पर 30 प्रतिशत कर लगाना ‘लॉटरी’, ‘गेम शो’ से जीती गयी राशि पर लगाये जाने वाले कर की दर के बराबर है। नांगिया एंडरसन इंडिया के चेयरमैन राकेश नांगिया ने कहा कि सरकार स्थिर और भरोसेमंद कर व्यवस्था की बात पर कायम है और ऑनलाइन डिजिटल संपत्ति हस्तांतरण को कर के दायरे में लाया गया है।
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