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अमेरिका में लगे आरोप के बाद अदाणी ग्रुप ने लिया बड़ा फैसला, इस लोन डील से खींचा हाथ

अमेरिकी आईडीएफ ने पिछले वर्ष नवंबर में श्रीलंका के कोलंबो बंदरगाह पर कोलंबो वेस्ट इंटरनेशनल टर्मिनल (सीडब्ल्यूआईटी) नामक गहरे पानी के कंटेनर टर्मिनल के विकास, निर्माण व संचालन के लिए 55.3 करोड़ अमेरिकी डॉलर का ऋण देने पर सहमति व्यक्त की थी।

Adani Group - India TV Paisa Image Source : FILE अदाणी ग्रुप

अदाणी ग्रुप ने अमीरका से लोन लेने पर बड़ा फैसला लिया है। अमेरिकी न्याय मंत्रालय द्वारा ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी और सात अन्य पर सौर ऊर्जा आपूर्ति से जुड़े ठेके हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को 26.5 करोड़ डॉलर की रिश्वत देने के आरोप के बाद अंतरराष्ट्रीय विकास वित्त निगम (डीएफसी) से लोन लेने का फैसला रद्द कर दिया है। हालांकि, पहले ही अदाणी ग्रुप ने सभी आरोपों को निराधार बताते कानूनी उपाय करने की बात कही थी। आपको बता दें कि अदाणी ग्रुप ने श्रीलंका में एक बंदरगाह टर्मिनल के फंडिंग के लिए अमेरिकी एजेंसी के साथ ऋण समझौते किया था। हालांकि, अब यह कहते हुए हाथ खींच लिया है कि वह इस प्रोजेक्ट के लिए अपने संसाधनों का इस्तेमाल करेगा। 

शेयर बाजार को दी गई सूचना 

अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड (एपीएसईजेड) ने मंगलवार देर रात शेयर बाजार को दी सूचना में बताया कि प्रोजेक्ट अगले साल की शुरुआत तक चालू होने वाली है। कंपनी ने कहा कि इस  प्रोजेक्ट का फंडिंग कंपनी अपने आंतरिक स्रोतों और पूंजी प्रबंधन योजना के जरिये करेगी। हमने अंतरराष्ट्रीय विकास वित्त निगम (डीएफसी) से वित्त पोषण के लिए अपना अनुरोध वापस ले लिया है। अमेरिकी आईडीएफ ने पिछले वर्ष नवंबर में श्रीलंका के कोलंबो बंदरगाह पर कोलंबो वेस्ट इंटरनेशनल टर्मिनल (सीडब्ल्यूआईटी) नामक गहरे पानी के कंटेनर टर्मिनल के विकास, निर्माण व संचालन के लिए 55.3 करोड़ अमेरिकी डॉलर का ऋण देने पर सहमति व्यक्त की थी। सीडब्ल्यूआईटी का विकास अदाणी पोर्ट्स, श्रीलंकाई समूह जॉन कील्स होल्डिंग्स पीएलसी और श्रीलंका पोर्ट्स अथॉरिटी (एसएलपीए) के एक संघ द्वारा किया जा रहा है।

चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने थी कोशिश 

डीएफसी का वित्त पोषण क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए अमेरिकी सरकार के व्यापक प्रयासों का हिस्सा है। यह अदाणी समूह की विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे को विकसित करने की क्षमता को भी दिखाता है। हालांकि, ऋण प्रक्रिया तब रुक गई जब डीएफसी ने मांग की कि अदाणी और एसएलपीए के बीच समझौते को उनकी शर्तों के अनुरूप संशोधित किया जाए। इसके बाद श्रीलंका के अटॉर्नी जनरल द्वारा इसकी समीक्षा की गई। इस प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि चूंकि परियोजना पूरी होने के करीब है, इसलिए अदाणी पोर्ट्स ने डीएफसी से वित्त पोषण के बिना परियोजना को आगे बढ़ाने का फैसला किया है। अदाणी पोर्ट्स की इस उद्यम में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी है। अमेरिकी एजेंसी ने हाल ही में कहा था कि वह अदाणी समूह के अधिकारियों के खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोपों के प्रभावों का सक्रिय रूप से आकलन कर रही है। 

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