Layoffs: लगातर हो रही छंटनी के बीच ये खबर कर्मचारियों के लिए राहत भरी है। श्रम और रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव ने बेवजह कर्मचारियों को कंपनी से निकालने को अवैध करार देने को बोला है। अगर कोई कंपनी ऐसी गलती करती है तो उसके उपर कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी है।
क्या कहा है मंत्री ने?
आईटी और एड-टेक सहित कई फर्मों में हो रही छंटनी पर राज्यसभा में बात करते हुए श्रम और रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव ने आज कहा है कि बेवजह छंटनी करना इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट एक्ट के प्रावधानों के अनुसार अवैध माना जाएगा और कंपनी द्वारा कर्मचारी को मुआवजा भी देना होगा।
क्या कहता है नियम?
इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट एक्ट 1947 (आईडी एक्ट) के प्रावधानों के मुताबिक, जो कंपनियां बिना नियम और शर्तों को फॉलो किए छंटनी करती है तो उसके उपर कार्रवाई होती है। यह एक्ट सिर्फ उसी कंपनियों पर लागू होता है, जिसकी क्षमता 100 व्यक्तियों या उससे अधिक लोगों को रोजगार देने की हो। यह एक्ट कर्मचारियों को मुआवजे देने और नए रोजगार के अवसर प्रदान कराए जाने की वकालत करता है।
मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आने वाली कुछ प्राइवेट कंपनियों या सरकारी संस्थानों के साथ केंद्रीय औद्योगिक संबंध मशीनरी (CIRM) को अच्छे संबंध बनाए रखने और कर्मचारियों के हितों की रक्षा करने का काम सौंपा गया है, जिसमें छंटनी और उससे संबंधित मामले के रोकथाम शामिल है।
पिछले कुछ महीनों में हुई रिकॉर्ड छंटनी
पिछले कुछ महीनों में दुनिया भर में टेक कंपनियों में बड़े पैमाने पर छंटनी देखी गई है, जिसका मुख्य कारण आर्थिक मंदी है। ट्विटर, नेटफ्लिक्स, माइक्रोसॉफ्ट, स्नैप जैसी बड़ी टेक कंपनियों ने अपने कर्मचारियों की संख्या में हजारों की कमी की है, जबकि रिपोर्ट्स का दावा है कि मेटा, अमेजन और अन्य जैसी कंपनियों ने काम पर रखने पर रोक लगा दी है और कुछ कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को पिंक स्लिप सौंपने की योजना बनाई है। इसका असर भारतीय कंपनियों पर भी देखने को मिल रहा है। शेयरचैट, वर्से इनोवेशन और ओला, बायजू जैसी कंपनियां भी अपने यहां छंटनी कर रही हैं।
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