दुनिया भले ही अफ्रीका को तिरस्कार की नजर से देखती हो, लेकिन भारत ने इस महाद्वीप में बड़े कारोबारी अवसर तलाश लिए हैं। यही कारण है कि अफ्रीकी संघ भारत का चौथा सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार बनकर सामने आया है। इसके आगे अमेरिका, चीन और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) हैं। इनके बाद अफ्रीकी संघ भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
वैश्विक व्यापार में 8.52 प्रतिशत की साझेदारी के साथ 2019-20 में अफ्रीका के साथ भारत का कुल व्यापार 68.33 अरब डॉलर का रहा। 2019-20 में अफ्रीका के साथ भारत का व्यापार घाटा 9.1 अरब डॉलर का था, जो वस्तुओं के व्यापार के मामले में भारत के कुल व्यापार घाटे का करीब छह प्रतिशत है।
दक्षिण अफ्रीका में भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) श्याम प्रसाद ने यहां एक संगोष्ठी में अफ्रीका के साथ भारत के बढ़ते व्यापार का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘‘भारत का अफ्रीका के साथ नकारात्मक व्यापार संतुलन है जिसकी वजह से निर्यात से ज्यादा आयात होता है। ’’ उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय व्यापार के मामले में अमेरिका, चीन और यूएई के बाद अफ्रीकी संघ भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है।
इन देशों से बड़ा कारोबार
अफ्रीकी संघ में भारत का शीर्ष व्यापारिक साझेदार नाइजीरिया (20.91 प्रतिशत) है। अफ्रीकी संघ से भारत के आयात का करीब 61 प्रतिशत हिस्सा ईंधन का होता है जिसमें मुख्य रूप से नाइजीरिया, अंगोला और अल्जीरिया से कच्चे तेल का आयात होता है। इसके बाद घाना, दक्षिण अफ्रीका और बोत्सवाना से बेशकीमती पत्थरों और कांच (20 प्रतिशत) का आयात होता है।
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