अडाणी ग्रुप अपने कारोबार को और बड़ा करने के लिए बड़ा निवेश करने जा रही है। ग्रुप ने ऐलान किया है कि 1 अप्रैल से शुरू होने वाले अगले वित्त वर्ष में बंदरगाह, ऊर्जा, हवाई अड्डा, जिंस, सीमेंट और मीडिया क्षेत्र तक फैले अपने कारोबार में 1.2 लाख करोड़ रुपये (लगभग 14 अरब अमेरिकी डॉलर) से अधिक का निवेश करने की योजना बनाई है। सूत्रों ने कहा कि समूह ने अगले 7-10 वर्षों में कारोबार बढ़ाने के लिए अपने निवेश पूर्वानुमान को 100 अरब डॉलर से बढ़ाकर दोगुना कर दिया है। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अनुमानित पूंजीगत व्यय इससे पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 40 प्रतिशत अधिक है।
निवेश से बढ़ेगा ग्रुप कंपनियों का मुनाफा
विश्लेषकों के अनुसार 31 मार्च को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष 2023-24 में कैपिटल एक्सपेंडिचर लगभग 10 अरब डॉलर का पूंजीगत व्यय होने का अनुमान है। सूत्रों ने कहा कि ये निवेश तेजी से मुनाफे में वृद्धि की बुनियाद तैयार करेंगे। समूह ने पहले कहा था कि अगले 7-10 वर्षों में 100 अरब डॉलर का पूंजीगत व्यय किया जा सकता है। इस निवेश का अधिकांश भाग समूह के तेजी से बढ़ते व्यवसायों - नवीकरणीय ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन और हवाई अड्डों में किया जाना है। पूंजीगत व्यय का ज्यादातर हिस्सा हरित ऊर्जा के लिए होगा। इसके अलावा हवाई अड्डों और बंदरगाह व्यवसायों पर खर्च किया जाएगा।
हिंडनबर्ग रिपोर्ट का मकसद बदनाम करना था
हाल ही में अडाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडाणी ने कहा कि पिछले साल जनवरी में आई अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट न केवल विभिन्न क्षेत्रों में कारोबार वाले समूह को अस्थिर करने बल्कि भारत की शासन (गवर्नेंस) प्रणाली को राजनीतिक रूप से बदनाम करने के लिए भी लाई गई थी। शॉर्ट-सेलर एवं निवेश शोध फर्म हिंडनबर्ग ने अडाणी समूह पर शेयरों के भाव में हेराफेरी और वित्तीय गड़बड़ियों का आरोप लगाते हुए एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। उस समय समूह ने सभी आरोपों से इनकार किया था। इस साल उसे उच्चतम न्यायालय से भी राहत मिली जब न्यायाधीशों ने फैसला सुनाया कि उसे अतिरिक्त जांच का सामना करने की जरूरत नहीं है। हालांकि, यह रिपोर्ट आने के बाद अडाणी समूह के शेयरों में 150 अरब डॉलर से अधिक की बिकवाली हुई थी।
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