Adani Group का रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर पर बड़ा दांव, 2030 तक करेगा 2 लाख करोड़ का निवेश
अडानी ग्रीन एनर्जी ने बीते वित्त वर्ष 2023-24 में 2,800 मेगावाट क्षमता जोड़ी है। यह देश में साल के दौरान सृजित कुल उत्पादन क्षमता का 15 प्रतिशत है। इस साल लक्ष्य 6,000 मेगावाट है।
अडानी समूह 40,000 मेगावाट रिन्यूएबल एनर्जी प्रोडक्शन कैपेसिटी तैयार करने के लिए 2030 तक लगभग दो लाख करोड़ रुपये का निवेश करेगा। समूह ने 2050 तक अपनी सभी कंपनियों में कार्बन उत्सर्जन शुद्ध रूप से शून्य स्तर पर लाने का लक्ष्य रखा है और रिन्यूएबल एनर्जी पर जोर उसी दिशा में कदम है। विभिन्न कारोबार क्षेत्रों से जुड़े समूह की वर्तमान में सौर और पवन ऊर्जा समेत रिन्यूएबल सोर्सेज से बिजली उत्पादन की क्षमता 10,000 मेगावाट से अधिक है। समूह 2030 तक 50,000 मेगावाट क्षमता तक पहुंचने के लिए हर साल 6,000 से 7,000-मेगावाट क्षमता जोड़ने पर ध्यान दे रहा है।
2030 तक 2 लाख करोड़ के निवेश का टार्गेट
अडानी ग्रीन एनर्जी लि. (AGEL) के कार्यकारी निदेशक सागर अडानी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘प्रति मेगावाट पांच करोड़ रुपये के हिसाब से निवेश 2030 तक दो लाख करोड़ रुपये के दायरे में हो सकता है।’’ कंपनी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अमित सिंह ने कहा कि कंपनी रात के दौरान अधिकतम बिजली की मांग को ध्यान में रखते हुए 5,000 मेगवाट क्षमता की पंप स्टोरेज क्षमता भी तैयार करेगी। इसका कारण रात में सूर्य की रोशनी उपलब्ध नहीं होती और हवा की तीव्रता इतनी नहीं होती है कि बिजली पैदा करने के लिए पवन चक्की को चालू किया जा सके। कार्बन क्रेडिट के साथ नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता और कुछ अन्य उपायों के साथ, समूह को 2050 तक शुद्ध रूप से शून्य कार्बन उत्सर्जन हासिल करने में मदद मिलेगी।’’
इस साल 6000 मेगावाट क्षमता जोड़ने का लक्ष्य
सिंह ने कहा कि अडानी ग्रीन एनर्जी ने बीते वित्त वर्ष 2023-24 में 2,800 मेगावाट क्षमता जोड़ी है। यह देश में साल के दौरान सृजित कुल उत्पादन क्षमता का 15 प्रतिशत है। उन्होंने कहा, ‘‘इस साल हमारा लक्ष्य 6,000 मेगावाट है।’’ अडाणी ने कहा कि आने वाले समय में हर साल इतनी या इससे ज्यादा क्षमता वृद्धि की संभावना है। कुल 50,000 मेगावाट क्षमता का 80 प्रतिशत सौर और बाकी पवन ऊर्जा से आएगा। समूह सौर पैनल और पवन चक्की में उपयोग किए जाने वाले वेफर्स बनाने के लिए कारखाने भी लगा रहा है। सिंह ने कहा कि समूह अब कम हवा की गति वाले क्षेत्रों के लिए तीन मेगावाट की पवन चक्की बनाने पर विचार कर रहा है। समूह वर्तमान में 5.2 मेगावाट क्षमता की पवन टर्बाइन बनाता है, जो गुजरात में खावड़ा जैसे उच्च क्षमता वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है।