रीन्युएबल एनर्जी में Adani Group का बढ़ेगा दबदबा, 4 लाख करोड़ के निवेश का ऐलान, ये शेयर चमकेंगे
भारत की सबसे बड़ी नवीकरणीय ऊर्जा कंपनी अदाणी ग्रीन एनर्जी ने 2030 तक 50 गीगावाट आरई क्षमता (वर्तमान में 11.2 गीगावाट परिचालन क्षमता) की प्रतिबद्धता जताई है।
भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए रीन्युएबल एनर्जी (सौर, पवन, परमाणु और जल विद्युत) पर जोर दे रही है। ग्रीन एनर्जी पर बढ़ते फोकस को देखते हुए अदाणी ग्रुप ने भी इस सेक्टर में बड़ा निवेश करने का ऐलान किया है। अदाणी समूह ने सोमवार को कहा कि उसने चौथे वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा निवेशक सम्मेलन एवं प्रदर्शनी (री-इन्वेस्ट) 2024 के दौरान सौर, पवन और ग्रीन हाइड्रोजन जैसी नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में 4,05,800 करोड़ रुपये निवेश करने का संकल्प लिया है। 'री-इन्वेस्ट 2024' में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय को सौंपे गए शपथ पत्रों के अनुसार समूह की कंपनियों- अदाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एजीईएल) और अदाणी न्यू इंडस्ट्रीज लिमिटेड (एएनआईएल) ने 2030 तक नवीकरणीय परियोजनाओं में निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है। मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि अदाणी ग्रुप के इस ऐलान का सबसे अधिक फायदा अदाणी ग्रीन एनर्जी का होगा। आने वाले दिनों में इसके स्टॉक में तेजी देखने को मिल सकती है। इसके अलावा अदाणी पावर भी फोकस बढ़ेगा।
50 गीगावाट तक क्षमता बढ़ाने की तैयारी
भारत की सबसे बड़ी नवीकरणीय ऊर्जा कंपनी अदाणी ग्रीन एनर्जी ने 2030 तक 50 गीगावाट आरई क्षमता (वर्तमान में 11.2 गीगावाट परिचालन क्षमता) की प्रतिबद्धता जताई है। अदाणी न्यू इंडस्ट्रीज 10 गीगावाट का सौर विनिर्माण संयंत्र, पांच गीगावाट का पवन विनिर्माण, 10 गीगावाट का ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन और पांच गीगावाट का इलेक्ट्रोलाइजर विनिर्माण संयंत्र स्थापित करेगी। इन निवेश से 71,100 लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ये बातें कही
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को गांधीनगर में ‘वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा निवेशक बैठक एवं प्रदर्शनी’ (री-इनवेस्ट 2024) के चौथे संस्करण को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे लिए हरित भविष्य और शुद्ध शून्य उत्सर्जन केवल दिखावटी शब्द नहीं हैं। ये देश की जरूरतें हैं और हम इसे हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। सरकार अयोध्या और 16 अन्य शहरों को मॉडल ‘सौर शहर’ के रूप में विकसित पर काम कर रही है।’’उन्होंने कहा कि जब 21वीं सदी का इतिहास लिखा जाएगा, तो भारत की सौर क्रांति का अध्याय स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।
मोदी ने कहा कि भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लिए अपनी ऊर्जा जरूरतों को समझता है और चूंकि देश के पास अपने तेल और गैस संसाधन नहीं हैं, इसलिए हमने सौर, पवन, परमाणु और जल विद्युत के बल पर अपना भविष्य बनाने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने हरित ऊर्जा के क्षेत्र में कई बड़े फैसले लिए हैं, जिसमें 7,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ अपतटीय हरित ऊर्जा परियोजनाओं के लिए व्यवहार्यता अंतर कोष (वीजीएफ) योजना और 31,000 मेगावाट पनबिजली उत्पादन के लिए 12,000 करोड़ रुपये से अधिक की मंजूरी शामिल है।