A
Hindi News पैसा बिज़नेस एबीजी शिपयार्ड घोटाला को बैंकों ने कम समय में पकड़ा: निर्मला सीतारमण

एबीजी शिपयार्ड घोटाला को बैंकों ने कम समय में पकड़ा: निर्मला सीतारमण

वित्त मंत्री ने कहा कि आमतौर पर बैंक इस तरह के मामलों को पकड़ने में 52 से 56 माह का समय लेते हैं और उसके बाद आगे की कार्रवाई करते हैं।

<p>abg</p>- India TV Paisa Image Source : FILE abg

Highlights

  • 22,842 करोड़ रुपये से ज्यादा की धोखाधड़ी का आरोप एबीजी शिपयार्ड पर
  • एबीजी शिपयार्ड का घोटाला नीरव मोदी की धोखाधड़ी के मामले से भी बड़ा
  • सीतारमण ने कहा कि राजग सरकार के कार्यकाल में बैंकों की सेहत सुधरी है

नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है एबीजी शिपयार्ड का खाता पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल में एनपीए (गैर-निष्पादित आस्ति) हुआ था और बैंकों ने औसत से कम समय में इसे पकड़ा और अब इस मामले में कार्रवाई चल रही है। गौरतलब है कि SBI की अगुवाई वाले 28 बैंकों के एक संघ से 22,842 करोड़ रुपये से ज्यादा की धोखाधड़ी का आरोप एबीजी शिपयार्ड पर लगाया है। सीतारमण ने सोमवार को भारतीय रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड के निदेशकों के साथ बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, इस मामले में बैंकों को श्रेय मिलेगा। उन्होंने इस तरह की धोखाधड़ी को पकड़ने के लिए औसत से कम समय लिया।

वित्त मंत्री ने कहा कि आमतौर पर बैंक इस तरह के मामलों को पकड़ने में 52 से 56 माह का समय लेते हैं और उसके बाद आगे की कार्रवाई करते हैं। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने देश के सबसे बड़े बैंक धोखाधड़ी मामले में एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड और उसके पूर्व चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक ऋषि कमलेश अग्रवाल सहित अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है। यह मामला आईसीआईसीआई बैंक की अगुवाई में करीब दो दर्ज बैंकों के गठजोड़ के साथ धोखाधड़ी के लिए दर्ज किया गया है। एबीजी शिपयार्ड का घोटाला नीरव मोदी और मेहुल चौकसी द्वारा पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के साथ 14,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले से भी बड़ा है। 

सीतारमण ने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के कार्यकाल में बैंकों की सेहत सुधरी है और वे बाजार से धन जुटाने की स्थिति में हैं। संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक के मुद्रास्फीति के अनुमान काफी ‘मजबूत’ हैं। उन्होंने कहा कि अक्टूबर, 2021 से मुद्रास्फीति का रुख नीचे की ओर है। दास ने कहा, मुख्य रूप से सांख्यिकी कारक यानी आधार प्रभाव की वजह से मुद्रास्फीति विशेषरूप से तीसरी तिमाही में ऊंची रही है।

Latest Business News