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Hindi News पैसा बिज़नेस भारत में 66% कर्मचारी वर्क प्रेशर से दबाव में, 45% से अधिक कर्मचारी हर रविवार शाम बेचैनी करते महसूस: सर्वे

भारत में 66% कर्मचारी वर्क प्रेशर से दबाव में, 45% से अधिक कर्मचारी हर रविवार शाम बेचैनी करते महसूस: सर्वे

इसके अलावा, 78 प्रतिशत लोगों ने बताया कि कार्यस्थल पर सहकर्मियों का दबाव और प्रबंधन तथा सहकर्मियों से व्यवहार संबंधी अपेक्षाएं बहुत मुश्किल हैं।

Work Pressure - India TV Paisa Image Source : FILE वर्क प्रेशर

कंपनियों में अत्यधिक वर्क प्रेशर से कर्मचारियों की मानसिक हालात बिगड़ रही है। HR सर्विस और वर्कफोर्स सॉल्यूशंस देने वाली कंपनी जीनियस कंसल्टेंट्स की रिपोर्ट के अनुसार, सर्वेक्षण में भाग लेने वाले 79 प्रतिशत से अधिक कर्मचारियों का मानना है कि उनकी कंपनी मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों और कल्याण के लिए और अधिक काम कर सकते हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 66 प्रतिशत कर्मचारी अपनी वर्तमान कार्य संरचना के कारण अत्यधिक बोझ महसूस करते हैं तथा उनका मानना ​​है कि उनके कार्य-जीवन का संतुलन गंभीर रूप से बाधित हो रहा है। 

सर्वे में कहा गया है कि 45 प्रतिशत से अधिक कर्मचारी हर रविवार शाम को चिंता और बेचैनी का अनुभव करते हैं, जब वे सोमवार को काम पर लौटने की तैयारी करते हैं। जबकि 13 प्रतिशत इस बारे में मिश्रित भावनाएं रखते हैं। इसके अलावा, 78 प्रतिशत लोगों ने बताया कि कार्यस्थल पर सहकर्मियों का दबाव और प्रबंधन तथा सहकर्मियों से व्यवहार संबंधी अपेक्षाएं बहुत मुश्किल हैं। 

बड़ी संख्या में कर्मचारी चिंता से जूझ रहे

जीनियस कंसल्टेंट्स के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक आर पी यादव ने कहा, हमें यह पहचानना चाहिए कि कर्मचारी कल्याण सिर्फ एक प्रवृत्ति नहीं है, बल्कि संगठनात्मक सफलता का एक महत्वपूर्ण पहलू है। आंकड़ों से पता चलता है कि बड़ी संख्या में कर्मचारी चिंता से जूझ रहे हैं और अपने कार्य वातावरण में बेचैनी महसूस कर रहे हैं। कंपनियों को मानसिक स्वास्थ्य और कार्य-जीवन संतुलन को प्राथमिकता देने वाले माहौल को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय कदम उठाने की आवश्यकता है।” यह रिपोर्ट पांच अगस्त से दो सितंबर, 2024 के बीच विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले 1,783 कर्मचारियों के बीच किए गए सर्वेक्षण पर आधारित है। 

कंपनियां उठा रही कदम

देश में कंपनियां कार्यस्थलों पर मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के समाधान के लिए कदम उठा रही हैं। हालांकि बहुसंख्यक कर्मचारियों का मानना ​​है कि कंपनियां उनके समग्र कल्याण में सुधार के लिए और अधिक काम कर सकती हैं। हालांकि, प्रोफेशनल्स का कहना है कि अभी भी सिर्फ खानापूर्ति किया जा रहा है। जमीनी हकीकत बिल्कुल नहीं बदली है। अधिकांश कंपनियों का जोर अपने मुनाफा बढ़ाने पर है। इस चक्कर में कर्मचारी की सेहत बिगड़ रही है। 

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