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Hindi News पैसा बिज़नेस अमेरिकी सेब ​के आयात पर 20% कस्टम ड्यूटी हटा, जानिए इस फैसले से भारतीय सेब उत्पादकों पर क्या होगा असर

अमेरिकी सेब ​के आयात पर 20% कस्टम ड्यूटी हटा, जानिए इस फैसले से भारतीय सेब उत्पादकों पर क्या होगा असर

भारत चना, दाल और सेब सहित आठ अमेरिकी उत्पादों पर प्रतिशोधात्मक आयात शुल्क को खत्म करेगा।

Apple- India TV Paisa Image Source : FILE सेब

अमेरिकी सेब पर 20 प्रतिशत प्रतिशोधात्मक सीमा शुल्क (कस्टम ड्यूटी) हटाने के फैसले से भारतीय किसानों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने सोमवार को यह बात कही। उन्होंने बताया कि अगर इसका कोई असर होता भी है, तो सरकार के पास उत्पादकों को समर्थन देने के लिए पर्याप्त नीतिगत गुंजाइश है। वाणिज्य विभाग में अतिरिक्त सचिव पीयूष कुमार ने कहा कि भारत इस शुल्क को हटाकर कुछ भी 'ज्यादा' नहीं दे रहा है और ऐसा नहीं है कि 'हमने अमेरिकी सेबों के लिए अपने दरवाजे पूरी तरह खोल दिए हैं।'' उन्होंने कहा कि वास्तव में यह भारत के लिए फायदे का सौदा है, क्योंकि इसके बदले अमेरिकी बाजार में घरेलू इस्पात और एल्यूमिनियम उत्पादों को बाजार पहुंच मिलेगी। इन उत्पादों का निर्यात 2018 में अमेरिका के उच्च शुल्क लगाने से प्रभावित हुआ था। 

कांग्रेस ने बदले का आरोप लगाया था 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हालिया अमेरिका यात्रा के दौरान दोनों देश विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के छह विवादों को खत्म करने और अमेरिका के उत्पादों पर प्रतिशोध स्वरूप लगाए गए शुल्कों को हटाने पर सहमत हुए थे। ये बयान इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक ट्वीट कर आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ''चाहते हैं कि एप्पल भारत में निवेश करे, लेकिन क्या उन्हें हिमाचल प्रदेश के सेब उत्पादकों की भी परवाह है? उन्होंने अमेरिकी सेब पर आयात शुल्क में कटौती करके हिमाचल में अपनी चुनावी हार का बदला ले लिया है। भारत ने इससे पहले कभी भी इतना तंगदिल प्रधानमंत्री नहीं देखा है!'' भारत चना, दाल और सेब सहित आठ अमेरिकी उत्पादों पर प्रतिशोधात्मक आयात शुल्क को खत्म करेगा। 

भारतीय किसानों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा

कुमार ने कहा, ''शुल्क हटाने से भारतीय किसानों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा'' क्योंकि सेब पर आयात शुल्क अभी भी 50 प्रतिशत है। अमेरिका से सेब का आयात 2018-19 में 14.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर (127,908 टन) से घटकर 2022-23 में केवल 52.7 लाख अमेरिकी डॉलर (4,486 टन) रह गया था। इससे पता चलता है कि अमेरिकी सेब पर प्रतिशोधात्मक शुल्क लगाने के कारण उनकी बाजार हिस्सेदारी घट गई। 

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