अमेरिका के सबसे बड़े बैंकों में से 11 बैंकों ने ‘फर्स्ट रिपब्लिक बैंक’ के लिए 30 अरब डॉलर के राहत पैकेज की बृहस्पतिवार को घोषणा की। इस कदम का उद्देश्य बैंकिंग क्षेत्र में जारी संकट को और गहराने से रोकना है। मदद नहीं मिलने की स्थिति में ‘फर्स्ट रिपब्लिक बैंक’ एक हफ्ते से भी कम समय में विफल होने वाला तीसरा बैंक बन जाता। फर्स्ट रिपब्लिक बैंक भी सिलिकॉन वैली बैंक (एसवीबी) के समान संकट का सामना कर रहा था और उसके ग्राहक भी एसवीबी के ग्राहकों के समान ही हैं। एसवीबी शुक्रवार को तब संकट में आ गया था जब उसके जमाकर्ताओं ने कुछ ही घंटों में 40 अरब डॉलर की राशि निकाल ली थी। फर्स्ट रिपब्लिक बैंक के पास बीते साल 31 दिसंबर तक कुल 176.4 अरब डॉलर का जमा था।
बैंकिग प्रणाली में भरोसा लौटाने की कोशिश
बैंकों के समूह ने एक बयान जारी करके कहा कि कई बैंकों से बड़े पैमाने पर जमा निकली गई है जो फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (एफडीआईसी) द्वारा तय स्तर से अधिक है। बैंकों ने संयुक्त बयान में कहा, अमेरिका के सबसे बड़े बैंकों ने जो कदम उठाए हैं वे देश की बैंकिग प्रणाली में उनके भरोसे को दर्शाता है। हम अपनी वित्तीय ताकत और नकदी को बड़ी प्रणाली में डाल रहे हैं, जहां इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है। बृहस्पतिवार को फर्स्ट रिपब्लिक के शेयर 36 प्रतिशत तक गिर गए थे लेकिन राहत पैकेज की खबरें आने पर इनमें तेजी आई।
बैंकिंग नियामक ने इस कदम की सराहना की
देश के बैंकिग नियामकों ने बयान जारी करके इस राहत पैकेज की सराहना की। बैंकों के इस कदम के बाद वित्त मंत्री जेनेट येलेन, मुद्रा के कार्यवाहक नियंत्रक माइकल हसू, फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल और एफडीआईसी के अध्यक्ष मार्टिन ग्रुऐनबर्ग ने एक बयान में कहा, ‘‘बड़े बैंकों के समूह ने जो समर्थन दिखाया है वह स्वागत योग्य है और यह बैंकिंग प्रणाली के जुझारूपन को दिखाता है।
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