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Hindi News पैसा बिज़नेस नोएडा और ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद समेत इन 5 शहरों में 1.46 लाख फ्लैट अटके पड़े, सालों से इंतजार में खरीदार

नोएडा और ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद समेत इन 5 शहरों में 1.46 लाख फ्लैट अटके पड़े, सालों से इंतजार में खरीदार

रियल्टी एक्सपर्ट का कहना है कि एक ओर घरों की कीमत आसमान पर पहुंच रही हैं, वहीं सैंकड़ों प्रोजेक्ट सालों से अटके पड़े हुए हैं। अगर उनका काम पूरा हो तो प्रॉपर्टी बाजार में सप्लाई बढ़ेगी और प्रॉपर्टी की बढ़ती कीमत पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी।

Real Estate Project - India TV Paisa Image Source : FILE रियल एस्टेट प्रोजेक्ट

नोएडा और ग्रेटर नोएडा सहित उत्तर प्रदेश के 5 प्रमुख शहरों में 378 आवासीय परियोजनाएं अटकी पड़ी हैं। इन परियोजनाओं में 1.46 लाख फ्लैट हैं। रियल एस्टेट आंकड़ा विश्लेषण कंपनी प्रॉपइक्विटी ने यह जानकारी दी। आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश के नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, लखनऊ और आगरा में 1,45,880 फ्लैट वाले 378 आवासीय परियोजनाएं रुकी हुई हैं। आंकड़ों के अनुसार ग्रेटर नोएडा में 74,645 इकाइयों वाली 167 अवरुद्ध परियोजनाएं हैं। नोएडा में 41,438 इकाइयों वाली 103 अटकी आवासीय परियोजनाएं हैं, जबकि गाजियाबाद में 15,278 इकाइयों वाली 50 अवरुद्ध परियोजनाएं हैं। इन प्रोजेक्ट के काम फंसने से हजारों खरीदार सालों से अपना फ्लैट मिलने का इंतजार कर रहे हैं। 

दिल्ली-एनसीआर टॉप प्रॉपर्टी मार्केट 

नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद दिल्ली-एनसीआर में महत्वपूर्ण संपत्ति बाजार हैं। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी 13,024 फ्लैट वाली 48 आवासीय परियोजनाएं अटकी हुई हैं। आगरा में 10 परियोजनाएं अवरुद्ध हैं, जिनमें 1,495 इकाइयां शामिल हैं। प्रॉपइक्विटी के आंकड़ों के मुताबिक कुल मिलाकर 42 शहरों में 1,981 आवासीय परियोजनाएं अटकी पड़ी हैं, जिनमें कुल 5.08 लाख फ्लैट हैं। रियल्टी एक्सपर्ट का कहना है कि एक ओर घरों की कीमत आसमान पर पहुंच रही हैं, वहीं सैंकड़ों प्रोजेक्ट सालों से अटके पड़े हुए हैं। अगर उनका काम पूरा हो तो प्रॉपर्टी बाजार में सप्लाई बढ़ेगी और प्रॉपर्टी की बढ़ती कीमत पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी। 

इस कारण प्रोजेक्ट के काम अटके

प्रॉपइक्विटी के संस्थापक और सीईओ समीर जसूजा ने कहा कि अवरुद्ध परियोजनाओं की समस्या डेवलपर में परियोजनाओं को पूरा करने की क्षमता की कमी, नकदी प्रवाह के कुप्रबंधन और नयी जमीन खरीदने या अन्य ऋणों को चुकाने के लिए धन का इस्तेमाल करने के चलते है। 

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