कंपनियों के AGM आयोजित करने के समय से आप ऐसे लगा सकते हैं उसकी हालत का अंदाजा
जो कंपनियां एक वित्त वर्ष के दौरान खराब प्रदर्शन करती हैं, वे आमतौर पर साल के अंत में अपनी वार्षिक आम सभा (AGM) का आयोजन करती हैं।
नई दिल्ली। ‘देरी, एक बुरी खबर’ मानो भारतीय उद्योग जगत का एक मंत्र बन गया है। इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर एडवाइजरी सर्विसेस (iIAS) के एक अध्ययन के मुताबिक जो कंपनियां एक वित्त वर्ष के दौरान खराब प्रदर्शन करती हैं, वे आमतौर पर साल के अंत में अपनी वार्षिक आम सभा (AGM) का आयोजन करती हैं।
सभी लिस्टेड भारतीय कंपनियों के लिए वार्षिक आम सभा का आयोजन करना अनिवार्य है, यह एक सालाना कार्यक्रम होता है जिसमें शेयरधारक और प्रबंधक एक जगह एकत्रित होते हैं। इन बैठक के दौरान प्रबंधन वार्षिक वित्तीय प्रदर्शन का लेखा-जोखा पेश करता है और शेयरधारकों की चिंताओं को दूर करने का प्रयास करता है।
भारत में जून से सितंबर का समय कंपनियों की वार्षिक आम सभा आयोजित करने का दौर होता है। अधिकांश कंपनियां 31 मार्च को अपनी एनुअल बुक को बंद कर देती हैं और एजीएम बुलाने के लिए कुछ महीने का समय लेती हैं।
iIAS के अध्ययन के मुताबिक जो कंपनियां सितंबर महीने में एजीएम बुलाती हैं उनका इक्विटी पर रिटर्न जून, जुलाई या अगस्त में एजीएम बुलाने वाली कंपनियों की तुलना में काफी कम होता है।
- यह अध्ययन एसएंडपी बीएसई 500 इंडेक्स की कंपनियों पर किया गया है, जिनका बीएसई के कुल मार्केट कैपिटालाइजेशन के 93 प्रतिशत हिस्से पर कब्जा है।
- एजीएम में देरी करने से कंपनियों को अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के वित्तीय परिणामों को भी शेयर धारकों के समक्ष रखने का अवसर मिल जाता है।
- इससे कंपनियां पिछले वित्त वर्ष के खराब वित्तीय प्रदर्शन को छुपाने की कोशिश करती हैं।
- वित्त वर्ष 2015-16 में 180 कंपनियों ने सितंबर में एजीएम आयोजित की, उनका रिटर्न ऑन इक्विटी 11.9 प्रतिशत रहा।
- अगस्त में एजीएम आयोजित करने वाली कंपनियों का रिटर्न ऑन इक्विटी 15.8 प्रतिशत और जुलाई में एजीएम बुलाने वाली कंपनियों का रिटर्न ऑन इक्विटी 16.4 प्रतिशत रहा।
- कम रिटर्न के अलावा अधिकांश कंपनियां, जिन्होंने देरी से एजीएम आयोजित की वह घाटे में रहीं।
- एसएंडपी बीएसई 500 कंपनियों में से 477 कंपनियों ने 31 मार्च को अपनी एनुअल बुक क्लोज की थी, उनमें से 64 घाटे में रहीं।
- इन 64 में से 30 कंपनियों ने अपनी एजीएम सितंबर में आयोजित की थी।
- iIAS इस ट्रेंड को पता करने के लिए 2013 से लगातार ऐसा अध्ययन कर रहा है।
- iIAS ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सबसे पहले ऐसा अध्ययन 2013 में किया गया था, तब हम यह नहीं जानते थे कि प्रदर्शन और एजीएम की तारीख में यह संबंध आगे भी जारी रहेगा।
- चार साल बाद कॉरपोरेट इंडिया लगातार पिछले ट्रेंड पर ही आगे बढ़ता जा रहा है।