Yes Bank crisis: सीबीआई ने यस बैंक के सह-संस्थापक राणा कपूर, अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की
सीबीआई ने यस बैंक के सह-संस्थापक राणा कपूर, दीवान हाउसिंह (डीएचएफएल) और डीओआईटी अर्बन वेंचर्स कंपनी के खिलाफ आपराधिक षडयंत्र, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की है।
नयी दिल्ली। सीबीआई ने यस बैंक के सह-संस्थापक राणा कपूर, दीवान हाउसिंह (डीएचएफएल) और डीओआईटी अर्बन वेंचर्स कंपनी के खिलाफ आपराधिक षडयंत्र, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की है। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी। कपूर इस समय प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में हैं। सूत्रों ने पहचान जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि एजेंसी जल्द ही मुंबई में छापे मार सकती है। उन्होंने बताया कि यह आरोप है कि जब घोटाले से ग्रसित डीएचएफएल को यस बैंक ने 3,000 करोड़ रुपये का कर्ज दिया, तो राणा के परिवार से जुड़ी कंपनी डीओआईटी अर्बन वेंचर्स को कथित रूप से 600 करोड़ रुपये मिले।
सूत्रों ने बताया कि यह आरोप है कि बैंक ने धन की वसूली के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किए और ऐसा संदेह है कि बैंक के उस उदार रख का डीओआईटी वेंचर्स को मिले धन से संबंध है। इससे पहले सूत्रों ने बताया था कि सीबीआई ने यस बैंक के मामलों की जांच शुरू कर दी है और अधिकारी इस मामले में दस्तावेज इकट्ठा कर रहे हैं। कथित अनियमतताओं के कारण वित्तीय संकट में घिरे यस बैंक पर भारतीय रिजर्व बैंक की नियामकीय कार्रवाई के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने राणा कपूर को मनी लांडरिंग (स्याह धन को सफेद करने) के आरोपों की जांच के सिलसिले में गिरफ्तार कर लिया है। कपूर (62) से पूछताछ की जा रही है।
कहा जा रहा है कि डीओआईटी अर्बन वेंचर्स (इंडिया) प्राइवेट लि कपूर परिवार की कंपनी है और उसे घोटाले से प्रभावित गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी डीएचएफल को 3000 करोड़ रुपये का कर्ज देने के बाद 600 रुपये की राशि मिली जो कथित तौर पर रिश्वत थी। दीवान हाउसिंग फाइनेंस लि पर उत्तर प्रदेश में बिजली क्षेत्र के कर्मचारियों के भाविष्य निधि कोष से 2200 करोड़ रुपये के गबन के आरोप में सीबीआई पहले ही मुकदमा कायम कर चुकी है।
इसके साथ ही इस बैंक के स्वामित्व का पुनर्गठन करने की योजना पर काम भी शुरू कर दिया है ताकि बैंक को बचाया जा सके और इसमें धन जमा करने वाले इसके ग्राहकों का हित सुरक्षित किया जाएगा। आरबीआई की योजना के मसौदे के अनुसार भारतीय स्टेट बैंक यस बैंक में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण करेगा।
2017 में यस बैंक ने 6355 करोड़ रुपये एपीए यानी बैड लोन कैटिगरी में डाल दिए थे, जिसके बाद से बैंक पर आरबीआई को शक शुरू हुआ। लंबे समय तक मामले की जांच चली और नौबत यहां तक आ गई है कि बीते शुक्रवार शाम को आरबीआई ने बैंक पर कई पाबंदियां लगा दीं, जिसके चलते बैंक के ग्राहकों को परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं। बैंक के ग्राहक के महीने में सिर्फ 50 हजार की रकम खाते से निकाल सकते हैं। हालांकि बैंक के कर्मियों के सैलरी इंक्रीमेंट को लेकर बैंक ने इस साल के लिए नो कहा है।