नई दिल्ली। थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति 22 माह के निम्नतम स्तर पर फिसलकर मई में 2.45 प्रतिशत रह गई। शुक्रवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक खाद्य पदार्थों, ईंधन और ऊर्जा कीमतों में गिरावट की वजह से मुद्रास्फीति में यह नरमी आई है। अप्रैल में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 3.07 प्रतिशत थी। मई 2018 में यह 4.78 प्रतिशत थी।
खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति 6.99 प्रतिशत रही, जो अप्रैल में 7.37 प्रतिशत थी। हालांकि, मई में प्याज की कीमत में वृद्धि हुई और इसकी महंगाई दर 15.89 प्रतिशत रही, जो अप्रैल में नकारात्मक 3.43 प्रतिशत थी। सब्जियों की मुद्रास्फीति मई में घटकर 33.15 प्रतिशत रही, जो अप्रैल में 40.65 प्रतिशत थी।
मई में डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति जुलाई 2017 के बाद सबसे कम है। जुलाई 2017 में थोक मुद्रास्फीति 1.88 प्रतिशत थी। ईंधर और बिजली क्षेत्र में मुद्रास्फीति भी अप्रैल के 3.84 प्रतिशत से घटकर मई में 0.98 प्रतिशत रही। विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति में भी गिरावट रही। मई में इसकी दर 1.28 प्रतिशत रही, जो अप्रैल में 1.72 प्रतिशत थी।
मार्च की थोक मुद्रास्फीति के संशोधित आंकड़े भी जारी किए गए हैं। मार्च की संशोधित मुद्रास्फीति 3.10 प्रतिशत रही जबकि अनुमानित अस्थायी आंकड़ों में यह 3.18 प्रतिशत थी। इस हफ्ते की शुरुआत में खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़े भी जारी किए गए थे। मई में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति सात महीने के उच्च स्तर यानी 3.05 प्रतिशत पर रही थी।
भारतीय रिजर्व बैंक अपनी मौद्रिक नीति को तय करने में खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर भी गौर करता है। छह जून को जारी मौद्रिक समीक्षा में केंद्रीय बैंक ने नीतिगत ब्याज दर या रेपो दर को घटाकर 5.75 प्रतिशत कर दिया था जो पहले छह प्रतिशत थी। रिजर्व बैंक ने 2019-20 की पहली छमाही में मुद्रास्फीति 3 से 3.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।
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